हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला, पिछड़ा आयोग से 31 मार्च तक रिपोर्ट तलब
चंडीगढ़— पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने जाट समुदाय समेत छह जातियों को आरक्षण देने पर रोक बरकरार रखी है। कोर्ट ने इस मामले में राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग से रिपोर्ट तलब की है। आयोग को यह रिपोर्ट 31 मार्च, 2018 तक हाई कोर्ट को सौंपनी होगी। हाई कोर्ट ने छह मार्च को जाट समुदाय समेत छह जातियों को सरकार द्वारा आरक्षण देने के मुद्दे पर अपना फैसला रिजर्व रख लिया था। हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक, हरियाणा सरकार को 30 नवंबर तक बैकवर्ड कमीशन को डाटा उपलब्ध करवाना होगा। 31 दिसंबर तक इस डाटा को लेकर आपत्तियां दर्ज की जा सकती हैं और 31 मार्च से पहले बैकवर्ड कमिशन को जाट आरक्षण पर निर्णय लेना होगा। हाई कोर्ट में इन आदेशों के साथ ही जाटों को आरक्षण देने या न देने का फैसला बैकवर्ड कमीशन पर छोड़ दिया है। हाई कोर्ट में इस संबंध में याचिका भिवानी के मुरारी लाल गुप्ता की तरफ से दायर की गई थी। उन्होंने अपनी याचिका में सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए कई तर्क रखे थे। उनका आरोप है कि सरकार ने जाट समुदाय के दबाव में आकर यह फैसला दिया है। इसी फैसले के तहत हरियाणा सरकार ने जाटों के साथ-साथ जाट सिख, रोड़, बिश्नोई, त्यागी तथा मुल्ला जाट/मुस्लिम जाट को आरक्षण देने के लिए पिछड़ी जातियों का शेड्यूल तीन जारी किया गया, जिसके तहत इन जातियों को ब्लाक सी, बीसी-सी कैटेगरी में आरक्षण का लाभ दिया गया है। आरक्षण प्रावधान के तहत जाटों सहित इन छह जातियों को तीसरी व चौथी कैटेगरी की नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया गया। इसी तरह से पहली व दूसरी कैटेगरी की नौकरियों में इन जातियों को छह फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया था।
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