न त्यारी पुल बना और न ही कलाह रोड

होली घाटी में रावि पर प्रस्तावित ब्रिज की सीएम ने तीन साल पहले रखी थी नींव

होली— होली घाटी में रावी नदी पर प्रस्तावित त्यारी पुल का निर्माण तीन वर्ष बाद भी नहीं हो पाया है। वर्ष 2014 में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस का शिलान्यास किया था, लेकिन तीन वर्ष बाद भी पुल की टेंडर प्रक्रिया ही पूर्ण नहीं हो पाई है। इसके अलावा कलाह गांव तक सड़क निर्माण का मामला भी वर्षों से खटाई में पड़ा हुआ है। नतीजतन अब कुठेहड़ पंचायत के मतदाताओं ने भी ऐलान कर दिया है कि जो पुल निर्माण को प्राथमिकता पर करवाने का भरोसा देता है, उसी दल को विधानसभा चुनाव में उनका सहयोग मिल पाएगा। अहम है कि मौजूदा समय में कुठेहड़ पंचायत के तहत आने वाले गांव झिकली व अपर त्यारी और कलाह के लोग लकड़ी के पुल से होकर गुजरते हैं। लकड़ी के पुल से वाहन गुजरने के चलते यहां पर हादसे का भी खतरा बना रहता है, वहीं यहां पर पुल और कलाह गांव तक सड़क निर्माण का सबसे ज्यादा लाभ मणिमहेश परिक्रमा यात्रा पर आने वाले भक्तों को मिलेगा। चूंकि कलाह गांव तक सड़क का निर्माण हो जाता है तो यात्रियों का मणिमहेश डल झील तक पहुंचने की राह ओर भी आसान हो जाएगी। सड़क निर्माण से यात्रियों का रुख इस ओर बढे़गा और यहां के लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे, मगर पुल का निर्माण अभी तक आरंभ न होने के कारण सड़क का रास्ता भी साफ  होता नहीं दिख रहा है। जनता भी अब सवाल पूछने लगी है कि चुनावों में पुल और सड़क निर्माण पर सियासी रोटियां सेंकने वाले राजनीतिक दलों ने अब तक इस दिशा में क्या किया है। बहरहाल त्यारी पुल और कलाह रोड़ के निर्माण को लेकर सरकारों की ओर से दिखाई गई सुस्ती के चलते मतदाता खफा हैं।

पांच करोड़ 39 लाख आएगा खर्च

होली स्थित पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता अजय नाग का  कहना है कि रावी पर 70 मीटर लंबे पुल का निर्माण होना है। पहले इसकी लंबाई 94 मीटर के आसपास थी, लेकिन बाद में ड्राइंग में फेरबदल किया गया है। पुल के लिए तकनीकी मंजूरी भी मिल चुकी है और इस पर पांच करोड़ 39 लाख की राशि खर्च होनी है। टेंडर प्रक्रिया विभाग के मुख्य अभियंता कार्यालय द्वारा की जानी है। उम्मीद है कि जल्द टेंडर प्रक्रिया आयोजित कर कार्य को अवार्ड कर दिया जाएगा।