पर्यटन संभावनाओं से दूर खडे़ प्रयास

डा. प्रदीप कुमार

लेखक, केएलबी डीएवी गर्ल्ज कालेज, पालमपुर में प्रिंसीपल हैं

तमाम उपाय किए जाने के पश्चात भी हिमाचल प्रदेश में पर्यटकों की संख्या में इतनी अधिक वृद्धि नहीं हुई, जितनी होनी चाहिए। इसका कारण यह है कि पर्यटन उद्योग में यात्रा सेवा तथा सत्कार क्षेत्रों में कुशलता का अभाव है। इसके अतिरिक्त प्रचार के लिए मीडिया का अधिक से अधिक प्रयोग करने की आवश्यकता है…

सन् 1971 में राज्य का दर्जा मिलने के पश्चात हिमाचल प्रदेश ने विभिन्न क्षेत्रों जैसे कृषि, बागबानी, उद्योग, विनिर्माण, व्यापार, बैंकिंग, बीमा, पर्यटन इत्यादि में विशेष प्रगति की है। जहां तक पर्यटन का संबंध है, हिमाचल में पर्यटन से संबंधित सभी संसाधन जैसे भौगोलिक व सांस्कृतिक भिन्नता, स्वच्छ-शांत नदियां व झरने, पवित्र धार्मिक स्थल, ऐतिहासिक स्मारक इत्यादि विद्यमान हैं। ये सभी तत्त्व पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र को हिमाचल की अर्थव्यवस्था का इंजन कहा जाता है। सन् 1991 में नए आर्थिक सुधारों के पश्चात दो दशकों के आंकड़ों की तुलना से ज्ञात होता है कि हिमाचल में भारतीय तथा विदेशी दोनों प्रकार के पर्यटकों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। जैसा कि सांख्यिकी विभाग के नए आंकड़ों के अनुसार 1992 में कुल पर्यटकों की संख्या 1.56 लाख थी, जो कि 2002 में बढ़कर 51 लाख तथा 2016 में बढ़कर 184.51 लाख हो गई। इससे प्रतीत होता है कि हिमाचल के प्राकृतिक सौंदर्य का भारतीय तथा विदेशी पर्यटकों पर विशेष प्रभाव रहा है।

इस प्रभाव का मुख्य कारण यह है कि पर्यटन की दृष्टि से विशेष महत्त्व रखने वाला तथा जन्नत अथवा धरती पर स्वर्ग कहा जाने वाला कश्मीर आतंकवाद के कारण पर्यटकों की दृष्टि से सुरक्षित नहीं समझा जाता। परिणामस्वरूप हिमाचल जैसा शांतमय राज्य विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसमें कोई संदेह नहीं कि पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सरकार ने अनेक सुविधाएं प्रदान की हैं। उदाहरण के तौर पर यातायात सेवाएं जैसे-हवाई अड्डे, सड़कें, वातानुकूलित बसें, संचार सुविधाएं तथा ग्रामीण क्षेत्र में भी होम स्टे जैसी शहरी सुविधाएं इत्यादि। ठहरने की सुविधा के लिए होटलों का भी पंजीकरण होता रहता है। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए समाचार पत्रों, दूरदर्शन, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का भी प्रयोग किया जाता है। पर्यटन विभाग द्वारा निजी होटल मालिकों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन मेलों में भी भाग लिया जाता है। पर्यटन विभाग द्वारा सूचना देने के लिए पर्यटन सूचना पुस्तिकाएं जैसे ‘हर गांव कुछ कहता है’ नामक टेबल पुस्तक, हिमाचल दर्शन, ई-सूची पत्र आदि का समय-समय पर प्रकाशन किया जाता है, ताकि पर्यटकों को विभिन्न जानकारियों से अवगत करवाया जाए। प्रचार के क्षेत्र में विभाग ने ब्रांड हिमाचल को आकर्षक डेस्टिनेशन के तहत ‘कभी भुला न पाओगे’ शीर्षक से स्थापित किया है।

इतने उपाय अपनाने के पश्चात भी हिमाचल प्रदेश में पर्यटकों की संख्या में इतनी अधिक वृद्धि नहीं हुई, जितनी होनी चाहिए। इसका कारण यह है कि पर्यटन उद्योग में यात्रा सेवा तथा सत्कार क्षेत्रों में कुशलता का अभाव है। इस क्षेत्र से जुड़े लोग अधिक वेतन मिलने पर दूसरे उद्योगों में पलायन कर जाते हैं। अतः पर्यटन उद्योग में अकुशल मानव शक्ति के कारण अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं के समाधान हेतु इस उद्योग से जुड़े लोगों को बेहतर वेतन तथा सेवा शर्तें देने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त प्रचार के लिए मीडिया का अधिक से अधिक प्रयोग करने की आवश्यकता है। विभिन्न राज्यों में प्रदर्शनियां तथा मेले लगाने के साथ परिवारों को ‘विशेष पैकेज’ विशेष छूट के रूप में देने का प्रावधान बडे़ पैमाने पर होना चाहिए। इससे पर्यटकों की संख्या में पर्याप्त मात्रा में वृद्धि होगी। पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए पैराग्लाडिंग प्रतियोगिता, स्केटिंग प्रतियोगिता, जल क्रीड़ा इत्यादि को विश्व स्तर पर अधिक महत्त्व देना चाहिए। धार्मिक स्थलों तथा ऐतिहासिक स्मारकों के रखरखाव की ओर विषेष ध्यान देने की आवश्यकता है। ऐसे स्थलों के आसपास उचित नागरिक सुविधाएं जैसे सड़कें, जल आपूर्ति, शौचालय, पार्किंग सुविधाएं, पूछताछ केंद्र इत्यादि सुविधाएं प्रदान करवानी चाहिएं। इसके साथ ही जहां तक संभव हो सके, फिल्म स्टूडियो के निर्माण की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। इसके साथ में होटल तथा रेस्तरां बनाने चाहिएं, ताकि बालीवुड फिल्म निर्माता व निर्देशक शूटिंग करने के लिए हिमाचल की ओर विशेष रूप से आकर्षित हो सकें। परिणामस्वरूप राज्य की प्रति व्यक्ति आय बढे़गी तथा कुछ हद तक बेरोजगारी तथा निर्धनता भी कम होने की संभावना रहेगी। केंद्र सरकार को भी इस पर्वतीय राज्य में पर्यटन उद्योग के विकास के लिए रेलवे के विस्तार पर फोकस करना चाहिए। प्रधानमंत्री आवास योजना की तरह प्रधानमंत्री रेल विकास योजना हिमाचल जैसे पर्वतीय राज्य में केंद्र सरकार की मुख्य देन होनी चाहिए। इसके साथ ही राज्य सरकार को भी उचित यातायात सुविधाएं जैसे अच्छे सड़क मार्ग, बसें, विमान सेवाएं तथा नागरिक सुविधाएं उपलब्ध करवानी चाहिए तथा पर्यटन उद्योग में विशेष तौर पर रोप-वे में निवेश करने वाले निवेशकों को विशेष सुविधाएं तथा विशेष प्रोत्साहन देने चाहिए।

इसके अतिरिक्त आज का युग मेडिकल टूरिज्म का युग है। वास्तव में विदेशों में स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक व्यय करना पड़ता है, क्योंकि वहां पर हर प्रकार के रोगों का इलाज काफी महंगा है। हिमाचल में यदि सभी अस्पतालों विशेष तौर पर मेडिकल कालेजों में यदि उच्च स्तर की चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाएं तो विदेशी पर्यटकों के आगमन की अधिक संभावनाएं बढ़ जाएंगी तथा हिमाचल में सभी के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का भी विस्तार होगा। इन सभी उपायों द्वारा एक ओर राज्य में पर्यटन उद्योग तथा मेडिकल टूरिज्म का विकास होगा तथा दूसरी ओर लोगों को व्यापक स्वास्थ्य तथा रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। परिणामस्वरूप यह पर्वतीय राज्य उच्च आर्थिक विकास दर को प्राप्त करता हुआ केंद्र सरकार के नीति आयोग के आठ प्रतिशत की दर से आर्थिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी सहयोग दे सकेगा।