पेट्रोल की बढ़ी कीमतों ने बिगाड़ा बजट

(डा. शिल्पा जैन सुराणा, वारंगल, तेलंगाना )

देश में पेट्रोल की कीमतें चरम पर पहुंच गई हैं और समय आ गया है कि सरकार इस स्थिति के लिए जिम्मेदारी ले। आज के समय में औसत व्यक्ति के लिए पेट्रोल विलासिता नहीं, बल्कि जरूरत है। महंगाई की दरों पर लगाम तो दूर की बात है, इस पेट्रोल के दामों की वृद्धि ने तो महंगाई की हालत सुरसा के मुंह सरीखी कर दी है। बहुत हो गया है, आम आदमी को इतना मूर्ख न समझें। कंपनी पेट्रोल के दामों को बढ़ाने का ठीकरा सरकार के सिर पर फोड़ती है और सरकार कंपनियों पर। कब तक यह चूहे-बिल्ली का खेल चलेगा? जनता क्यों अपनी खून-पसीने की कमाई आपको दे? जवाब देने की जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ सरकार की है, पेट्रोलियम कंपनियों की नहीं। जनता इतनी भी मूर्ख नहीं कि वह सही और गलत को न समझ सके। सरकार ने नोटबंदी की, जनता ने हजारों कष्ट सहे तो सिर्फ इसलिए कि इस देश का भविष्य उन्नत हो, हर आम आदमी तरक्की करे, खुशहाली आए। सरकार जीएसटी लेकर आई, तो उस पर भी जनता ने साथ दिया। न जाने कितनी नई चीजें आईं, जनता ने समर्थन दिया। लाखों लोगों ने सबसिडी को ठोकर मार दी। अब सरकार की जवाबदेही बनती है कि वह जनता के इस समर्थन का बदला चुकाए। पेट्रोल के दाम बढ़ने से हर घर का हिसाब-किताब गड़बड़ा रहा है। जनता ने साथ दिया, तो अब आप भी जनता का साथ दो। सरकार पेट्रोल के दाम कम करे, ताकि महंगाई पर लगाम कसी जा सके। मुंह फेरने या जिम्मेदारी से भागने से कुछ नहीं होने वाला। याद रखिएगा  जनाब, जनता सब जानती है।