बरमाणा में ब्लास्टिंग…खतरे में मकान

एसीसी सीमेंट फैक्टरी के माइनिंग जोन से सटे गांव कुन्नू और ब्लोह धौंन कोठी में भारी ब्लास्टिंग से दहला गए हैं। गांव के लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है। इससे इन गांवों के मकान थरथरा उठे हैं। बीते दिनों से लगातार बहुत बड़े धमाके हो रहे हैं। इसे लोगों को घर से बाहर भागना पड़ रहा है और इस भारी ब्लास्टिंग से कई कच्चे मकान गिरने की कगार पर पहुंच गए हैं। घरों में दरारें आ गई हैं। एसीसी विस्थापित प्रभावित समिति के अध्यक्ष भगत सिंह वर्मा ने बताया कि जब माइनिंग क्षेत्र की सरकारी और व्यक्तिगत जमीन को लेकर जनवरी, 2017 में पूछा गया था तो उन्होंने इस बात की जानकारी नहीं होने की बात की। यहां तक कि माइनिंग क्षेत्र से रिहायशी घरों की कितनी दूरी होनी चाहिए। वहीं पर जब एडीएम से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कंपनी ने तीन हजार बीघा जमीन अधिग्रहण की है, जबकि चीफ सेक्रेटरी इंडस्ट्री को इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं है कि डेंजर एरिया कितना है और कितनी भूमि इस एरिया में अधिग्रहण की है इन सभी बातों से अनभिज्ञ है

अंजु शर्मा, बरमाणा

ब्लास्टिंग से दीवारों में दरारें

बाबू राम का कहना है कि हमारे घर की दीवारें व लैंटल में दरारें पड़ गई हैं। पिल्लर जगह से हट गई हैं। हमारे घर में ब्लास्टिंग से लाखों का नुकसान हो गया है, परंतु इस समस्या की न तो विभाग सुध ले रहा है और न ही जिला प्रशासन।

ब्लास्टिंग से उजड़ गई जमीन

वार्ड मेंबर सुनील गौतम का कहना है कि विस्थापित नहीं चाहते हैं कि जो उनकी जमीन शेष रह गई है, वह भी विस्फोटकों से चली जाए। यदि कंपनी को जमीन की जरूरत है तो उचित मुआवजा और सुविधा देकर ही ये सारे कार्य किए जाएं। ब्लास्टिंग को भी उचित मापदंड के अनुसार किया जाए।

आज तक हल नहीं हुई समस्या

रामनाथ का कहना है कि इस संदर्भ में कई बार विभाग को अवगत करवाया गया। जनता की परेशानी के बारे में भी अवगत करवाया गया, परंतु आज तक इसका कोई स्थायी हल नहीं निकल पाया।

महज आश्वासन ही मिले

अमरनाथ का कहना है कि खनन अधिकारियों को कई बार बताया गया, परंतु उनके कान में जूं तक नहीं रेंग रही। विभागीय अधिकारी सिर्फ लोगों को आश्वासन देकर ही अपना पल्ला झाड़ लेते हैं और शरीफ लोगों को बिना कुछ बताए ही चुप करवा देते हैं।

अधिकारी भी नहीं लेते सुध

मोहित गौतम का कहना है कि माइनिंग अधिकारी को जब यह सूचित किया जाता है कि भारी ब्लास्टिंग हो रही है तो उनके द्वारा उल्टा आरोप लगाया जाता है कि इस क्षेत्र में आकर खुद देख सकते हैं कि हम किस तरह से काम कर रहे हैं।

मकान गिरने के कगार पर

शिव कुमार  का कहना है कि अधिकारियों द्वारा बार-बार सूचित किए जाने पर भी हमें भ्रमित किया जा रहा है। हमारे मकान गिरने की कगार पर पहुंच चुके हैं। अब एसीसी द्वारा शोषण को नहीं सहा जाएगा।