भगवान रघुनाथ मंदिर के अधिग्रहण पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने होशियारपुर कोर्ट का फैसला दोहराया, मंदिर को बताया निजी संपत्ति

कुल्लू— कुल्लू के अधिष्ठाता देव भगवान रघुनाथ मंदिर के अधिग्रहण पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को महेश्वर सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया। यह आदेश 1942 में होशियारपुर की एक निचली अदालत के उस निर्णय के तहत दिए गए जिसमें उक्त मंदिर को निजी संपत्ति बताया गया था। भगवान रघुनाथ मंदिर को सरकार पिछले कई सालों से ट्रस्ट में तबदील करना चाहती थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह को बड़ी राहत मिली है। अब कुल्लू दशहरा भी ठीक ढंग से बीतने की उम्मीद है। अंतरराष्ट्रीय दशहरे के शुरू होने से ठीक 15 दिन पहले स्टे मिलने से कुल्लू देव समाज के लोगों ने भी राहत की सांस ली है। बता दें कि आठ दिसंबर, 2014 की रात एक नेपाली युवक ने अपने साथियों के साथ मंदिर की छत के स्लेट उखाड़कर मंदिर में घुसकर भगवान रघुनाथ की अष्टधातु से बनी अंगूठे के आकार की मूर्ती को चुराने के साथ-साथ अन्य कई बेशकीमती चीजें चुरा ली थीं। हालांकि पुलिस ने जल्द ही इस मामले की गुत्थी को सुलझा लिया था। पुलिस ने बेशकीमती मूर्ति के साथ-साथ अन्य चीजों को भी बरामद कर लिया था, लेकिन उसके बाद ही प्रदेश भर में रघुनाथ मंदिर के अधिग्रहण को लेकर स्वर उठने शुरू हो गए थे। इतना ही नहीं, सरकार ने बड़े मंदिरों की सुरक्षा को लेकर उनको ट्रस्ट के अधीन करने का फैसला ले लिया था। 25 जुलाई, 2016 को प्रदेश मुख्यमंत्री ने रघुनाथ मंदिर का अधिग्रहण करने की घोषणा कुल्लू में ही कर दी थी। उसके बाद यह मामला कोर्ट में चला गया था, लेकिन सरकार ने कैबिनेट में निर्णय लेकर जिला प्रशासन कुल्लू को भी मंदिर के अधिग्रहण करने के निर्देश जारी कर दिए थे। इतना ही नहीं, सरकार ने रघुनाथ मंदिर को लेकर ट्रस्ट का गठन भी कर दिया था, जिसमें एडीसी कुल्लू को मंदिर ट्रस्ट का कमिश्नर भी सरकार की ओर से नियुक्त कर दिया गया था। वहीं, जिला कुल्लू के कई बड़े नेताओं को भी सरकार की ओर से मंदिर का ट्रस्टी नियुक्त कर दिया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ये सारी योजनाएं धरी की धरी रह गई हैं। इतना ही नहीं, हाल ही में मंदिर की ट्रस्ट कमेटी ने बैठक कर कुछ निर्णय भी लिए थे, लेकिन कोर्ट ने अब उन पर भी पांबदी लगा दी है।

हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका

सरकार की ओर से मंदिर के अधिग्रहण के फैसले को रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। 31 अगस्त, 2017 को प्रदेश हाई कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर राजपरिवार को कड़ा झटका दिया था। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलने के बाद कुल्लू के राजपरिवार के साथ-साथ देवसमाज को भी राहत की सांस मिली है। गौर हो कि रघुनाथ मंदिर को लेकर प्रदेश मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह काफी सक्रिय थे। उन्होंने मामले में कोताही बरतने पर जनसभा में ही उपायुक्त कुल्लू को लताड़ लगाई थी और उनके तबादला आदेश भी थमा दिए थे।