लाल टोपी, हरी टोपी

(प्रेम चंद, सोलन )

जिस हिमाचली टोपी को प्रधानमंत्री अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला रहे हैं, उसी हिमाचली टोपी पर हिमाचली नेता राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। हिमाचल में तो राजनीति करने का बहाना चाहिए, चाहे वह बहाना टोपी का ही क्यों न हो। क्या कभी सत्ता पक्ष और विपक्ष यह सोचेगा कि उसने इन पांच सालों में विधानसभा सत्र में कितने घंटे काम किया। एक बार सरकार बन गई, वह पांच साल तो निकाल ही लेगी, चाहे लड़खड़ाकर ही सही। बात तो तब बने कि सरकार पांच साल का काम बताए और लोगों को पता चले कि पांच साल में प्रदेश का कितना विकास हुआ। टोपी के रंग में उलझने वाले क्या विकास करेंगे?