शक्ति पूजा का पर्व

(रमेश सर्राफ धमोरा, धमोरा, झुंझुनू )

दशहरा हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन लोग नया कार्य प्रारंभ करते हैं, शस्त्र पूजा की जाती है। इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं। रामलीला का आयोजन होता है, रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। दशहरा अथवा विजयदशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए या दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है। यह हर्ष, उल्लास तथा विजय का पर्व है। भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो, यही इस उत्सव का उद्देश्य है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के दशहरा की विशेष ख्याति है। पहाड़ी लोग अपने ग्रामीण देवता की धूमधाम से शोभायात्रा निकाल कर पूजन करते हैं। देवताओं की मूर्तियों को बहुत ही आकर्षक पालकी में सुंदर ढंग से सजाया जाता है। साथ ही ये अपने मुख्य देवता रघुनाथ जी की भी पूजा करते हैं। इस जुलूस में प्रशिक्षित नर्तक नाटी नृत्य करते हैं। दशमी के दिन इस उत्सव की शोभा निराली होती है। ऐसा माना जाता है कि आश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय विजय नामक मुहूर्त होता है। यह काल सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है, इसलिए भी इसे विजयदशमी कहते हैं। हम चाहें, तो अपने भीतर बसी बुराइयों को रावण के साथ जलाकर, अपने व्यक्तित्व को निखारने का संकल्प लेकर इस उत्सव की सार्थकता को बढ़ा सकते हैं।