सत्य गया फिर जीत
(डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर )
लो जीत गया सत्य, झूठ गया फिर हार,
सदाचार की जीत है, हार गया व्यभिचार।
हिंसा, अत्याचार से, होता सत्यानाश,
कपट, दंभ, अन्याय, छल, किसको आया रास।
ज्ञानी, अज्ञानी बना, अहंकार में चूर,
अच्छाई की है विजय, सदाचार भरपूर।
राम सनातन सत्य हैं, सदा प्रेम व्यवहार,
काम, क्रोध, मोह ने, किया रावण का संहार।
है विनाश निश्चित, अगर पल-पल बढ़े घमंड,
सिद्धि प्राप्ति का क्या करें, यदि रावण है उद्दंड।
विजय पर्व है शौर्य का, दुर्गा का त्योहार,
जगदंबे की जीत है, महिषासुर की हार।
है प्रतीक यह शक्ति का, कार्य सिद्धि संपन्न,
शुभ दिन है, बढ़ता सदा, वैभव, धन और अन्न।
नव कार्य, उद्योग या कर नवीन व्यवसाय,
विजय प्राप्ति हो, यश मिले, बढ़े सदा ही आय।
सर्व सिद्धिदायक दिवस, वैभव, धन, पहचान,
राज्य प्राप्ति, ऐश्वर्य हो, मिले मान-सम्मान।
आयुध की पूजा करें, अस्त्र-शस्त्र हों साफ,
मां दुर्गा की अर्चना, सप्तशती का जाप।