समसामयिकी

सरदार सरोवर बांध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 67वें जन्मदिन पर रविवार को नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन किया। यह देश का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है। 65 हजार करोड़ रुपए की लागत से बने इस बांध को बनने में 56 साल लगे हैं। बांध बनाने में 86.20 लाख क्यूबिक मीटर कंकरीट लगा है। इससे पृथ्वी से चंद्रमा तक सड़क बनाई जा सकती थी। कंकरीट के इस्तेमाल के लिहाज से यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है। अमरीका का ग्रांट कुली नंबर वन है। बांध पर गुलाबी, सफेद और लाल रंग के 620 एलईडी बल्ब लगाए गए हैं। ये कुल 1000 वॉट के हैं। इनमें से 120 बल्ब बांध के 30 गेटों पर लगे हैं। इनसे होने वाली रोशनी से ओवरफ्लो का आभास होता है। इस बांध से गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान को फायदा मिलेगा। पांच अप्रैल, 1961 को पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू ने इस बांध का शिलान्यास किया गया था। पीएम मोदी ने शनिवार को ट्वीट कर कहा था कि इस बांध से लाखों किसानों को फायदा होगा और यह आम लोगों की उम्मीदों को पूरा करेगा। इस परियोजना से प्रतिवर्ष करीब 100 करोड़ यूनिट पनबिजली पैदा होगी। सरदार सरोवर बांध का सबसे अधिक फायदा गुजरात को होगा। यहां के 15 जिलों के 3137 गांवों के 18.45 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकेगी। बिजली का सबसे अधिक 57 प्रतिशत हिस्सा मध्य प्रदेश को मिलेगा। महाराष्ट्र को 27 प्रतिशत, जबकि गुजरात को 16 प्रतिशत बिजली मिलेगी। दूसरी ओर राजस्थान को सिर्फ पानी मिलेगा। देश के सबसे बड़े सरदार सरोवर बांध से विवादों का भी नाता है और इसके पीछे वे हजारों लोग हैं, जिनके गांव का अस्तित्व सरदार सरोवर बांध में हमेशा के लिए गुम हो जाएगा। बांध के 30 दरवाजों के खुलते ही मध्य प्रदेश के 192 गांव, महाराष्ट्र के 33 और गुजरात के 19 गांव नक्शे से मिट जाएंगे। गुजरात में जश्न है तो मध्य प्रदेश में मायूसी। अनुमान के मुताबिक 5 लाख से ज्यादा परिवार विस्थापन के शिकार होंगे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सरदार सरोवर बांध को करीब 138 मीटर की अधिकतम ऊंचाई तक भरे जाने से आने वाली डूब के कारण मध्य प्रदेश के 141 गांवों के 18, 386 परिवार प्रभावित होंगे। सूबे में बांध विस्थापितों के लिए करीब 3000 अस्थायी आवासों और 88 स्थायी पुनर्वास स्थलों का निर्माण किया गया है।