फिलहाल देश में अलग-अलग मजहबों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से हर मजहब के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा। यानी मुस्लमानों को भी तीन शादियां करने और पत्नी को महज तीन बार तलाक बोल देने से रिश्ता खत्म कर देने वाली परंपरा खत्म हो जाएगी।
इतना ही नहीं, महिलाओं का अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार और गोद लेने जैसे मामलों में भी एक समान नियम लागू होंगे। जब-जब सिविल कोड को लेकर बहस छिड़ी है, विरोधियों ने यही कहा है कि ये सभी धर्मों पर हिंदू कानून को लागू करने जैसा है। समान नागरिक संहिता का मतलब हर धर्म के पर्सनल लॉ में एकरूपता लाना है। इसके तहत हर धर्म के कानूनों में सुधार और एकरूपता लाने पर काम होगा। यूनियन सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है।
क्यों है जरूरी?
* विभिन्न धर्मों के विभिन्न कानून से न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है। कॉमन सिविल कोड आ जाने से इस मुश्किल से निजात मिलेगी और न्यायालयों में वर्षों से लंबित पड़े मामलों के निपटारे जल्द होंगे।
* सभी के लिए कानून में एकसमानता से एकता को बढ़ावा मिलेगा और इस बात में कोई दो राय नहीं है कि जहां हर नागरिक समान हो, उस देश में विकास तेजी से होता है।
* मुस्लिम महिलाओं की स्थिति बेहतर होगी।
* भारत की छवि एक धर्मनिरपेक्ष देश की है। ऐसे में कानून और धर्म का एक-दूसरे से कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए। सभी लोगों के साथ धर्म से परे जाकर समान व्यवहार होना जरूरी है।
* हर भारतीय पर एक समान कानून लागू होने से राजनीति में भी बदलाव आएगा या यू कहें कि वोट बैंक और ध्रुवीकरण की राजनीति पर लगाम लगेगी।