सलीब पर स्वास्थ्य

(स्वास्तिक ठाकुर, पांगी, चंबा )

चिकित्सा सुविधा के लिए हिमाचल में करोड़ों रुपए का बजट और जान की कीमत कुछ भी नहीं। बच गया तो ऊपर वाले की कृपा है, वरना व्यवस्थाएं भी जानलेवा बन जाती हैं। कहीं रूबेला का टीका लगाते ही छात्राएं बीमार हो जाती हैं और कहीं ऊना में मंत्री की मौजूदगी में महिला की मौत हो जाती है। यह एक मौत सारे दावों की पोल खोल देती है कि हिमाचल में सिर्फ और सिर्फ सियासत ही बची है, व्यवस्था तो पहले ही कहीं दम तोड़ चुकी है। एंबुलेंस की कमी से यदि एक महिला दम तोड़ देती है, तो मंत्रियों को बड़े-बड़े भाषण देना बंद कर देना चाहिए। प्रदेश में एम्स को स्थापित करने से पहले सरकार को इन छोटी-छोटी खामियों को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। चिकित्सा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में यह विभागीय संवेदनहीनता असहनीय है।

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