सार्थक संवाद

(एनके सोमानी, सूरतगढ़ (ई-पेपर के मार्फत) )

दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ सीमा विवाद व कोरिया प्रायद्वीप में तनाव की पृष्ठभूमि के बीच जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत की यात्रा पर आए थे। इस दौरान उन्होंने यहां अहमदाबाद और मुंबई के बीच चलने वाली पहली बुलेट ट्रेन योजना की आधारशिला रखी। शिंजो आबे केवल बुलेट ट्रेन की आधारशिला रखने ही भारत आए थे, ऐसा भी नहीं था। भारत और जापान दोनों ही चीन के साथ वर्षों से सीमा विवाद में उलझे हुए हैं। दक्षिण चीन सागर मामले में जापान और चीन के बीच विवाद है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के निर्णय को दरकिनार करते हुए चीन इस सागर पर अपना दावा जता रहा है। दूसरी ओर डोकलाम मामले में चीन भारत के साथ दो माह से अधिक समय तक सैन्य तनातनी की स्थिति में रहा। ऐसे में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच संपन्न हुई औपचारिक बातचीत का केंद्र बिंदु चीन ही रहा। चीन, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया के बीच निर्मित होते त्रिगुट के दृष्टिगत जापान और भारत के बीच लगातार विकसित होते संबंध दोनों ही देशों के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। भारत का चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद है, जबकि जापान चीन और उत्तर कोरिया के साथ सीमा मामले में उलझा हुआ है। उत्तर कोरिया द्वारा एक के बाद एक खतरनाक हथियारों का परीक्षण करते रहने के कारण जापान की अस्मिता और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ और जापान की ‘फ्री एंड ओपन इंडो पैसेफिक नीति’ चीन, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया की नवविकसित तिकड़ी को नियंत्रित करने में प्रभावी भूमिका निभा सकती है। तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि शिंजो आबे की दो दिवसीय भारत यात्रा दोनों देशों के बीच रणनीतिक व कूटनीतिक लिहाज से बेहद सार्थक रही है।