सुन लो…दशहरे में इस बार आसानी से मिले पानी

दशहरा उत्सव के दौरान पानी के लिए शहरवासियों को दर-दर भटकना पड़ता है। नगर परिषद कुल्लू के कई वार्डों में दशहरा उत्सव के समय पानी की किल्लत रहती है। शहर में 22 हजार से अधिक आबादी  है। वहीं, इसके साथ इसी आंकडे़ के मुताबिक शहर में किराए के मकान में लोग रहते हैं। दशहरा उत्सव के दौरान जिला मुख्यालय में लोगों की भीड़ रहती है। मेहमानों की भरमार भी स्थानीयवासियों के साथ-साथ किराएदारों के पास रहती है। लोगों को सुचारू रूप से पानी मुहैया नहीं होने पर परेशान होना पड़ता है। आईपीएच विभाग से सुचारू रूप से पानी की सप्लाई मुहैया करवाने की गुहार लगाई है…

दशहरे में 24 घंटे होनी चाहिए पानी की सप्लाई

रोबिन ठाकुर का कहना है कि उनके वार्ड में दशहरा उत्सव के दौरान पानी की बड़ी समस्या रहती है। उत्सव के दौरान पानी ज्यादा लगता है। मेहमानों की भरमार होती है। ऐसे में 24 घंटे पानी की सप्लाई सुचारू रूप से रखने की जरूरत है। आईपीएच विभाग से इस दशहरा उत्सव में सुचारू रूप से पानी मुहैया करवाने की बिनती है।

फिटर शिफ्टों में रहें ड्यूटी पर तैनात

गौरव का कहना है कि दशहरा उत्सव के दौरान आईपीएच विभाग को शिफ्टों में फिटरों की ड्यूटी लगानी चाहिए, ताकि जिस क्षेत्र में पानी की सप्लाई बंद हो तो तुरंत शुरू होे जाए। नगर परिषद के सभी वार्डों में शिफ्ट वाइज फिटरों की ड्यूटी लगे तो पानी की दिक्कत से शहरवासियों को नहीं जूझना पड़ेगा।

पाइप लाइनों की हो मरम्मत,व्यर्थ न बहे पानी

राकेश का कहना है कि दशहरा उत्सव के दौरान कहीं पानी व्यर्थ बहता है तो कहीं पानी की भारी कमी खलती है। आईपीएच विभाग को व्यर्थ पानी खर्चने वालों पर नकेल कसनी चाहिए, ताकि पानी व्यर्थ न बहे। कई जगह आईपीएच विभाग की पानी की पाइप टूटी है, पाइप लाइन समय रहते दुरुस्त हो तो पानी की समस्या नहीं रहेगी।

मेहमानों के चलते पानी की रहती है किल्लत

अंकित का कहना है कि  उत्सव के दौरान शहर के पीछे सटे वार्डों में पानी की किल्लत रहती है। पानी आईपीएच विभाग द्वारा निर्धारित किए गए समय के दौरान भी नहीं आता है। इन क्षेत्रों में किराएदार काफी रहते हैं, उनके पास मेहमान भी आते हैं। ऐसे में इन क्षेत्रों में आईपीएच विभाग के कर्मचारी तैनात रहना जरूरी है।

शहर में पानी की बहुत ज्यादा जरूरत

अतुल का कहना है कि देवताओं के अस्थायी शिविरों के पास भी पानी की समस्या रहती है। ऐसे में देवी-देवताओं के अस्थायी शिविरों के पास भी पानी के नल होने जरूरी हैं। हर देवी-देवता के अस्थायी शिविर के पास सैकड़ों, हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।