सुषमा ने धुना पाक

यूएन में आतंकवाद पर खूब दिखाया आईना, तालियों से गूंजा सभागार

वॉशिंगटन— भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 72वें सत्र की अध्यक्षता करते हुए शनिवार को आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। उन्होंने 22 मिनट स्पीच दी। 10 मिनट आतंकवाद पर बात की। छह मिनट तक पाकिस्तान को जमकर लताड़ा। उन्होंने पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ द्वारा शुक्रवार को भारत को लेकर दिए गए बयान का जिक्र करते हुए कहा कि हैवानियत की हदें पार करने वाला देश हमें इनसानियत का पाठ पढ़ा रहा है। उनके भाषण के बाद सभागार तालियों से गूंज उठा। वहीं, भाषण के बाद विदेश मंत्री की पीठ थपथपाते हुए पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि सुषमा ने विश्व में भारत का सम्मान बढ़ा दिया। सुषमा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया, लेकिन पाकिस्तान बताए कि किसने दोस्ती की कहानी बदरंग की? भारत-पाक एक साथ आजाद हुए थे। भारत की पहचान आज दुनिया में आईटी सुपरपावर के रूप में बनी, लेकिन पाक की पहचान दहशतगर्द मुल्क की बनी है। भारत ने आईआईटी, आईआईएम बनाए, लेकिन आपने क्या बनाया? पाकिस्तान वालों ने लश्कर-ए-तोएबा बनाया, जैश-ए-मोहम्मद बनाया, हिजबुल-मुजाहिदीन बनाया। सुषमा स्वराज ने कहा कि हम तो गरीबी से लड़ रहे हैं, लेकिन हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान हमसे लड़ रहा है। परसों इसी मंच से बोलते हुए पाक के वजीर-ए-आजम ने भारत पर तरह-तरह के इल्जाम लगाए। हमें स्टेट स्पांसर्ड टेरेरिज्म फैलाने का आरोप लगाया, जब वह बोल रहे थे तो लोग कह रहे थे कि लुक हू इज टॉकिंग, जो आतंक फैलाता है, वह हमें पाठ पढ़ा रहा था। उन्होंने कहा कि मैं कहना चाहूंगी कि पाकिस्तान वालो जो पैसा आतंकियों की मदद के लिए खर्च कर रहे हो, उसे अवाम और मुल्क की तरक्की के लिए करो तो दुनिया का आतंकवाद से पीछा छूट जाएगा और आपके मुल्क का विकास हो सकेगा। आज विश्व जिन समस्याओं का समाधान ढूंढ रहा है, उनमें अहम आतंकवाद है। पहले विश्व के देश इसे कानून-व्यवस्था का मामला कहकर टाल देते थे। आज सब चर्चा कर रहे हैं। इस विषय पर हमें आत्मावलोकन करने की जरूरत है। हम जब भी ज्वाइंट स्टेटमेंट जारी करते हैं तो आतंकवाद से लड़ने की कसम खाते हैं, लेकिन यह निभाने वाली रस्म बन गई है। संकल्प निभाने का वक्त आता है तो कुछ देश अपने फायदे को आगे रखते हैं। 1996 में भारत द्वारा प्रस्तावित सीसीआईटी पर आज तक यूएन सहमत नहीं हो पाया। आतंकवाद की परिभाषा पर एक राय नहीं बन पाई। मेरे और तेरे आतंकवादी की दृष्टि अलग हो जाएगी तो मिलकर कैसे लड़ेंगे। किसी टेरेरिस्ट की लिस्टिंग पर मतभेद होगा तो हम कैसे लड़ेंगे। अलग-अलग नजरिए से आतंकवाद को देखना बंद करें। एक नजरिया करें और ये स्वीकार करें कि आतंकवाद सबके लिए खतरा है। अगर हम लड़ने का संकल्प करें तो उसे मानें और अमलीजामा पहनाएं। सीसीआईटी को पारित करे दें। सुषमा ने कहा कि टिकाऊ विकास के लक्ष्य को केंद्र में रखते हुए कई योजनाएं बनाई हैं। गरीबी दूर करना हमारा पहला लक्ष्य है। इसके दो रास्ते हैं। पहला, हम उनका सहारा बनें। दूसरा, हम उन्हें ही इतना सशक्त कर दें कि वह अपना सहारा आप बन जाएं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरा रास्ता चुना है। इसलिए वह गरीबों का सशक्तिकरण करने में जुटे हैं। हमारी सारी योजना इस पर केंद्रित है। जन-धन, उज्ज्वला, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप और स्टैंड अप इंडिया। सुषमा ने कहा कि जन-धन के तहत हमने सबसे बड़ा आर्थिक समावेश किया। 30 करोड़ लोगों को बैंकिंग सिस्टम में लाए। उनके बैंक खाते खुलवाए, जिनके पास पैसा नहीं था, उनका जीरो बैलेंस से खाता खुलवाया। असंभव को भारत ने संभव किया। 30 करोड़ लोग… यह छोटा आंकड़ा नहीं है। अमरीका की समूची आबादी है। कुछ लोग अभी बचे हैं। हमारा लक्ष्य सौ प्रतिशत को इससे जोड़ना है। विदेश मंत्री ने कहा कि दूसरी योजना के अंतर्गत 70 फीसदी से ज्यादा कर्ज केवल महिलाओं को दिया गया। तीसरी योजना है उज्ज्वला योजना। गरीब महिलाओं के लिए रोज-रोज खाना पकाने के लिए ईंधन जुटाना होता है। हम गरीब महिलाओं को मुफ्त सिलेंडर दे रहे हैं। नोटबंदी जैसे साहसिक फैसले ने क्रप्शन पर प्रहार किया। जीएसटी ने एक राष्ट्र, एक टैक्स योजना को साकार किया। बेटी-बचाओ जैसे योजनाएं लाए। समर्थ देश तो अपने बलबूते पर लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे, लेकिन हमें मदद करनी होगी। उधर, सुषमा स्वराज ने जलवायु परिवर्तन को लेकर भी जताई चिंता।

टेररिस्तान को ऐसे तमाचे

* 22 मिनट की स्पीच में दस मिनट आतंक पर करारा जवाब

* हमने आईआईटी-आईआईएम बनाए पाकिस्तान ने आतंकी संगठन

* हम गरीबी से लड़ रहे हैं और पड़ोसी हमसे ही लड़ने में जुटा

* भारत को इनसानियत का पाठ न पढ़ाए हैवानियत की हदें पार करने वाला देश

* आतंवादियों पर खर्च रहे पैसे को विकास में लगाने की दी सलाह

* टेरेरिस्ट लिस्टिंग में मतभेद पर भी खरी-खरी, एकजुट होने का संदेश

* जीएसटी से लेकर जन-धन तक हिंदोस्तान की कई उपलब्धियां गिनाईं