(प्रियंका शर्मा, बागबानी एवं वानिकी कालेज, हमीरपुर )
माना दूर है मंजिल, अभी रास्ते धूमिल हैं,
खुद पर विश्वास तो रख,
चल उठ, एक बार कोशिश तो कर।
कदम बढ़ाता मकसद की ओर बढ़,
गिर भी गया तो क्या हुआ?
हिम्मत रखकर फिर से चल।
इरादे हैं अगर तेरे पक्के,
रास्ते के पत्थर भी लगेंगे कच्चे।
कायर न बन, हिम्मत कर आगे बढ़।
गुमराह हैं वो जो कोशिश ही नहीं करते,
सफल होते हैं वो जो परीक्षाओं से नहीं थकते।
फौलादी इरादे लिए, हिम्मत कर आगे बढ़।