14 फीसदी हिमाचली अनपढ़

शिमला  —  किसी भी राष्ट्र के विकास में शिक्षा और साक्षरता की अहम भूमिका होती है। खासतौर पर भारत जैसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में स्वस्थ लोकतांत्रिक मूल्यों को स्थापित करना और बनाए रखना एक शिक्षित समाज के बिना संभव नहीं है। ज्ञान और जानकारी तक पहुंचने के लिए साक्षरता पहला कदम है। यह बात अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के पूर्व सलाहकार डा. कुलदीप सिंह तंवर ने कही। उन्होंने कहा कि साक्षरता की परिभाषा में यह स्पष्ट कहा गया था कि लोग बदहाली के कारणों को समझते हुए उनसे मुक्ति की दिशा में प्रयास करें और जरूरत के अनुसार संगठन भी बनाएं। साक्षरता की परिभाषा में आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के साथ-साथ छोटे परिवार के तौर-तरीकों को अपनाने और सामाजिक बुराइयों और अंधविश्वासों के खिलाफ लड़ने का भी आह्वान था, इसलिए आज साक्षरता की परिभाषा के पुनर्पाठ की जरूरत है और सभी को साक्षर करने की जरूरत है। इस समय हिमाचल जैसे छोटे राज्य में भी 7123184 की लगभग 14 प्रतिशत आबादी निरक्षर है, जिसमें दस प्रतिशत के करीब महिलाएं हैं। कुल 1025968 निरक्षरों में 470937 लोग 14-45 साल की उम्र के हैं। प्रदेश को पूर्ण साक्षर बनाने को राजनीतिक इच्छा शक्ति की जरूरत है। कोरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत साक्षरता के लिए साधन जुटाए जा सकते हैं। राष्ट्रीय सेवा योजना और एनसीसी के छात्र-छात्राओं को जिम्मा दिया जा सकता है, लेकिन इसके लिए सरकार को नीतिगत निर्णय लेना होगा। डा. तंवर ने कहा कि इसमें प्रदेश को केरल और त्रिपुरा जैसे राज्यों से सीख लेनी चाहिए, जहां सौ फीसदी साक्षरता हासिल करने के लिए होड़ लगी है। इन राज्यों की प्रगतिशील सरकारों ने राज्यों को पूर्ण साक्षर करने का प्रण लिया है। त्रिपुरा ने 2011 की जनगणना में 87.22 साक्षरता दर को 2016 में 94.65 प्रतिशत तक लाकर केरल के समक्ष भी बड़ी चुनौती पेश की है। केरल ने प्राथमिक शिक्षा को सुनिश्चित करने में सौ फीसदी लक्ष्य हासिल कर लिया है। हिमाचल ये सभी मानक हासिल कर सकता है, अगर सरकार की मंशा प्रदेश को पूर्ण साक्षर बनाने की हो जाए। साक्षरता दिवस से पहले कार्यशाला, राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के पूर्व सलाहकार डा. तंवर बोले चंबा में साक्षर भारत मिशन राज्य संसाधन केंद्र के निदेशक डा. ओम प्रकाश भूरेटा ने कहा कि प्रदेश में अभी केवल चंबा में साक्षर भारत मिशन का कार्यक्रम चल रहा है, लेकिन प्रदेश में अभी भी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां साक्षरता दर कम है। इन क्षेत्रों को चिन्हित करके वहां के लिए विशेष साक्षरता मुहिम चलाई जानी चाहिए। इस बार अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस का नारा है ‘डिजिटल विश्व में साक्षरता’, लेकिन डिजिटल साक्षरता से पहले हमें अंक और अक्षर की साक्षरता का लक्ष्य हासिल करना जरूरी है।