कृषक मित्रों की ‘दुश्मन’ बनी सरकार

अरसे से हो रही अनदेखी के चलते बनाया चुनावों के बहिष्कार का मन

जवाली –  प्रदेश भर की समस्त पंचायतों में वर्ष 2009 में रखे गए कृषक मित्र आज भी प्रदेश सरकार की तरफ टकटकी लगाए बैठे हैं। इस बार कृषक मित्र कांग्रेस सरकार के खेल को बिगाड़ सकते हैं। कृषक मित्रों के अनुसार इस बार उसी को वोट दिया जाएगा, जो कि उनके लिए कोई ठोस नीति बनाने का लिखित वादा अपने चुनावी घोषणा पत्र में करेगा अन्यथा चुनावों का बहिष्कार किया जाएगा। अपनी फरियाद को लेकर वे कई बार मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के साथ मिल चुके हैं, लेकिन हर बार उनको मात्र आश्वासन ही दिए गए हैं, जिसके चलते रोजगार होते हुए वे बेरोजगार होकर रह गए हैं। कृषक मित्रों कुलवीर सिंह, तरसेम लाल, नरेश कुमार, जोगिंद्र सिंह व सुनील कुमार इत्यादि ने कहा कि प्रदेश भर की समस्त पंचायतों में प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के हित में चलाई गई योजनाओं को किसानों तक पहुंचाने के लिए भाजपा सरकार ने वर्ष 2009 में पंचायतों में एक-एक कृषक मित्र का चयन किया गया था। चयन के समय उनके लिए 4500 रुपए मानदेय का भी प्रावधान था। इसके बाद कृषक मित्रों को एक साल तक टे्रनिंग तो दी गई, परंतु सत्ता परिवर्तन होने पर कृषक मित्रों को न तो प्रशिक्षण दिया गया और न ही उनको मानदेय दिया गया, जिसके चलते पिछले करीब सात साल से कृषक मित्र अनदेखी का शिकार होकर रह गए हैं। कृषक मित्रों की फरियाद को प्रदेश सरकार ने अनसुना ही कर दिया। कृषक मित्र सरकार के समक्ष अपनी मांगों को कई मंत्रियों के माध्यम से उठा चुके हैं, परंतु मात्र आश्वासनों के सिवाय कुछ भी नहीं मिला। सरकार ने पांच साल के कार्यकाल में अन्य समस्त वर्गों के लिए कोई न कोई योजना बनाई, जबकि कृषक मित्रों के लिए कुछ भी नहीं किया गया। विधानसभा चुनावों में कृषक मित्रों की अनदेखी कांग्रेस पर भारी पड़ सकती है, क्योंकि कृषक मित्र प्रदेश सरकार से नाराज हैं।