दस साल से पूरा नहीं हुआ रैन बसेरे का काम

सरकाघाट – सियासत के भंवर में उलझने वाले शिलान्यासों का सच किसी से छिपा नहीं है। कई शिलान्यास तो हकीकत में मात्र पट्टिका लगाने तक ही सीमित रह जाते हैं। इसके साथ ही काम पूरा करने के लिए टाइम बाउंड नाम की तो कोई चीज नेताओं के पास है ही नहीं। ऐसा ही एक शिलान्यास है उपमंडल सरकाघाट में 50 लाख की लागत से बन रहा रैन बसेरा। रैन बसेरा का शिलान्यास हुए दस साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन हैरानी की बात है कि अभी तक इसे पूरा ही नहीं किया जा सका है। उपमंडल मुख्यालय सरकाघाट में धर्मपुर रोड पर वन विभाग कार्यालय के नजदीक फरवरी, 2007 में तत्कालीन आबकारी एवं कराधान मंत्री रंगीला राम राव ने इसका शिलान्यास किया था, लेकिन 10 वर्ष बीत जाने पर भी रैन बसेरे का काम मुकम्मल नहीं हो पाया है। उस समय रंगीला राम राव ने कहा था कि इस रैन बसेरा भवन में दो हाल, तीन टायलट, जबकि दूसरी मंजिल में तीन कमरे और बाथरूम व अन्य सुविधाएं भी होंगी तथा यह रैन बसेरा 2012 तक मुकम्मल कर लोगों के लिए समर्पित कर दिया जाएगा। शिलान्यास के बाद प्रदेश में सरकार बदल गई और रैन बसेरे का काम ठंडे बस्ते में पड़ गया। इस भवन में  गरीब, मजदूर व असहाय लोगों के लिए रात्रि को ठहरने का प्रावधान किया जाना था। हालांकि 2012 में तत्कालीन मंत्री की की सरकार की फिर सत्ता में वापसी हुई, लेकिन इतना अरसा बीत जाने पर लोगों को दिखाए हुए सपने अभी भी पूरा होने के नाम नहीं ले रहे हैं।  नगर विकास समिति के अध्यक्ष सोहन लाल गुप्ता, राम प्रकाश, सीता राम, महेश, बलबीर सिंह वर्मा, पारो देवी व भूप सिंह आदि ने सरकार की बेरुखी व प्रशासन की अनदेखी की निंदा की है तथा सरकार से मांग की है कि रैन बसेरा भवन को मुकम्मल करवाया जाए। उधर, इस बारे में जब नगर पंचायत के अध्यक्ष संदीप कौशल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि शीघ्रता से इस भवन निर्माण कार्य को पूरा कर दिया जाएगा। उधर, मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार रंगीला राम राव ने कहा कि संबंधित विभाग को रैन वसेरे के कार्य तुरंत शुरू करने के आदेश दिए हैं। जल्द ही रैन बसेरे का लोकार्पण कर दिया जाएगा।

रात को सज रहीं शराबियों की महफिलें

अब रैन बसेरे के आधे-अधूरे बने भवन पर जहां नगर पंचायत ने कबाड़ रखने के लिए कब्जा किया है, वहीं रात के समय शराबियों का अड्डा बना हुआ है और दिन को जुआरियों के मजे लगे रहते हैं। भवन के धरातल पर पानी बह रहा है। भवन मुकम्मल होने से पहले ही जर्जर होता जा रहा है, जिससे स्थानीय जनता प्रदेश सरकार से खफा है।