नौ के फेर से नहीं निकल पाई कांग्रेस

शिमला— लंबी जद्दोजहद के बाद भी कांग्रेस आलाकमान नौ के फेर से नहीं निकल पाया। शुक्रवार को कांग्रेस के शेष बचे टिकट जारी होने की संभावना पर देर शाम तक बैठक चलती रही, लेकिन अंत में बात नहीं बन पाई। अब यह सूची शनिवार को जारी हो सकती है। उधर न-नुकर के बाद आईपीएच मंत्री विद्या स्टोक्स ठियोग से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गई हैं, जो 23 अक्तूबर को नामांकन भी दाखिल करेंगी। इससे पहले उन्होंने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के लिए ठियोग सीट खाली कर दी थी, मगर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा अर्की से नामांकन भरने के बाद वह खुद ठियोग से मैदान में उतरने को तैयार हैं। शुक्रवार को ही मंडी सदर का भी फैसला संभावित था, लेकिन हो नहीं पाया। यहां से स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर की बेटी चंपा ठाकुर चुनाव मैदान में उतर सकती हैं, जिनके नाम पर चर्चा चल रही है। वह जिला परिषद की चेयरमैन भी रह चुकी हैं। राजनीति उन्हें भी विरासत में मिली है। शिमला ग्रामीण से मुख्यमंत्री के पुत्र व प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रमादित्य का नाम फाइनल नहीं हो पाया है हालांकि वही यहां से संभावित प्रत्याशियों की सूची में हैं। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह उन्हें पहले से ही इस क्षेत्र से खड़ा करने का ऐलान पीटरहाफ शिमला में आयोजित एक बड़ी सभा में कर चुके हैं। पालमपुर से भी अभी किसी के नाम पर सहमति नहीं बन पाई है, जहां विधानसभा अध्यक्ष के पुत्र का नाम आगे आ रहा है। शाहपुर से वन निगम के उपाध्यक्ष केवल सिंह पठानिया के नाम को लेकर भी चर्चा है, जिस पर भी सहमति नहीं बनी है। इन नामों की औपचारिक घोषणा पार्टी की तरफ से अभी नहीं हो सकी है। नालागढ़ से हरदीप बावा और कुटलैहड़ से भुट्टो के नाम पर सहमति बताई जा रही है, जिसकी घोषणा का भी इंतजार है। सूत्रों का दावा है कि शनिवार तक इनका औपचारिक ऐलान कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की ओर से हो सकता है। पार्टी के नेताओं के मुताबिक सबसे ज्यादा जद्दोजहद मंडी सदर, शिमला ग्रामीण और पालमपुर के लिए करनी पड़ रही  है। उधर, कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि टिकट लगभग तय हो चुके हैं। कुछ सीटों पर सहमति बनने में समय लग रहा है। शनिवार तक दूसरी सूची जारी कर दी जाएगी, इसकी पूरी उम्मीद है।

परिवारवाद के नाम पर लटके टिकट

पार्टी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस में ये नौ टिकट परिवारवाद के नाम पर लटके हैं। पार्टी हाइकमान नहीं चाहती कि वंशवा द के नाम पर विधानसभा चुनाव में कोई मुद्दा बने, क्योंकि पार्टी के ही भीतर कई नेता इसका विरोध कर रहे थे। अंदरखाते इन सीटों पर भाजपा के बड़े चेहरों की भी खोज चल रही थी, जो पूरी नहीं हो सकी। प्रदेश नेतृत्व ने इसकी पूरी जिम्मेदारी पार्टी हाइकमान पर छोड़ दी थी, मगर अब पार्टी आलाकमान ने भी इस पर मुहर लगा दी है।