पर्यावरण मित्र दिवाली

(डा. शिल्पा जैन सुराणा, वारंगल, तेलंगाना )

देश में वायु प्रदूषण चरम पर पहुंच चुका है। इसका सबूत हैं वे छोटे-छोटे बच्चे, जो मुंह पर मास्क लगाए निकल कर अपने स्कूल जाते हैं। सच कहें तो उन्हें देखकर पहला सवाल दिमाग में यही उठता है कि यह तो उनका वर्तमान है। ऐसे में उनका भविष्य क्या होगा? देश में वायु प्रदूषण का स्तर खतरे के निशान तक पहुंच चुका है। बड़े शहरों में तो स्थिति और भी डराने वाली है। अगर कभी ट्रैफिक में फंस जाएं, तो सांस लेना दूभर हो जाता है। हर वर्ष लाखों जिंदगियां इस प्रदूषण की भेंट चढ़ जाती हैं और कइयों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इतना सब होने के बाद भी हम चेते नहीं हैं। क्यों न इस दिवाली पर हम यह संकल्प लें कि हम पर्यावरण की रक्षा में अपना योगदान देकर इस दिवाली को सार्थक करेंगे। क्यों न यह दिवाली पटाखे फोड़े बिना मनाई जाए। इस दिवाली पर संकल्प लें कि जो पैसे हम पटाखे न खरीद कर बचाएंगे, वे किसी जरूरतमंद को देंगे। यकीन मानिए तभी आपकी दिवाली सही मायनों में सार्थक होगी। साथ ही इस दिवाली पर कम से कम एक पौधा अपने घर में जरूर लगाएं। कहना न होगा कि ऐसे छोटे-छोटे पग ही बड़े-बड़े रास्ते तय करते हैं। संकल्प लें कि अपने वाहनों की नियमित जांच करवाएंगे, क्योंकि उनसे निकलने वाला धुंआ जहर बन कर हमें ही तकलीफ देने वाला है। इस दिशा में माननीय उच्चतम न्यायालय का फैसला भी राहत बनकर आया है। न्यायालय ने नई दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक बरकरार रखी है। अब दिवाली से पहले यहां पटाखों की बिक्री नहीं होगी। क्यों न हम यह दिवाली अपने पर्यावरण के नाम कर दें? छोटी ही सही, पर शुरुआत तो करें।