बहू-बेटी को न सताएं

( रवि कुमार सांख्यान, मैहरी काथला, बिलासपुर )

कन्या भ्रूण हत्या है जघन्य पाप,

नहीं हो सकता यह अपराध माफ।

अगर यूं ही घटती रही कन्याएं,

तो कैसे होगा समुचित विकास।

यह यक्ष प्रश्न मुंह बाए खड़ा आज,

जागो विश्व गुरुवैदिक संस्कृति के सरताज।

एक बेटी पढ़े, दो परिवार पढ़े,

कहते महापुरुष लाख पते की बात।

शिक्षा, संस्कृति, ज्ञान से मिटे तम की रात,

कन्या विहीन समाज है खतरे का आगाज,

नहीं पैदा होंगे शिवाजी, भरत, गांधी फिर आज,

नहीं अवतरित होंगी मैत्री, सीता फिर आज।

अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा,

जागो सामाजिक प्राणी ,

भ्रूण हत्या रोककर लिखो अमर कहानी,

कन्या शोषण को बनाओ भूतकाल की कहानी।

आओ अभी सदा के लिए कसम खाएं,

किसी बहू-बेटी को न सताएं?

यही है समुचित शाश्वत कहानी,

अमृत तुल्य सदुपयोगी ईश वाणी।