मांग-मांग कर मिलीं भवारना को सिर्फ अधूरी सुविधाएं

‘‘उम्मीदों की नींव पर ही सही, इक पुल चाहिए। गांव-शहर से जुड़ें, डग भरने का हमें भी हक चाहिए।’’ मगर विडंबना यही रही कि लगातार उम्मीदों के कई पुल ढह गए और कई सोचे भी न जा सके। भौगोलिक परिस्थितियां सियासत के दृष्टिकोण पर इतनी भारी पड़ेंगी यही सोच कर भाषणबाजों पर तरस आता है। जब पता चलता है कि फलां भवन का नींव पत्थर 1980 में रखा गया या फिर 15 वर्ष से उद्घाटन को तरस रही सड़क। या फिर शहीद अथवा स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर घोषणाएं। ये तमाम बातें कुछ समय बाद जनता को सुविधा नहीं मिलने पर एक टीस जरूर दे जाती है। जनता को मतदाता समझने वाले राजनेताओं को पांच वर्ष बाद याद आती है, तब तक लोग ऊब चुके होते हैं और फिर अपने हकों की आवाज उठाते हैं। लोगों के इसी दर्द का हिस्सा बनने के लिए प्रदेश के अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’ अपनी नई सीरीज ‘हक से कहो’ के तहत जनता की आवाज बनकर आगे आ रहा है।

कब बनेगा न्यूगल पुल

सुलाह विधानसभा क्षेत्र के थुरल निवासी अनुज सूद का कहना है कि पिछले आठ वर्षों से भ्रांता-डगेरा सड़क का कार्य पूरा नहीं हो सका है। यहां पर वर्ष 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने थुरल-भ्रांता-डगेरा घराणा डगेरा को जोड़ने वाले न्यूगल खड्ड पर बनने वाले पुल की नींव रखी थी। इस बीच दो सरकारें आईं, परंतु  सात वर्षों में केवल पुल ही बन सका है । सड़क अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। उनका कहना है कि थुरल महाविद्यालय कांग्रेस के समय में सरकारी तो कर दिया गया था, परंतु भवन आज दिन तक नहीं बन सका। एक वर्ष पहले पांच करोड़ 33 लाख रुपए से बनने वाले भवन का शिलान्यास तो कर दिया गया, परंतु अभी तक उसकी नींव तक नहीं रखी गई है । उनका कहना है कि थुरल एक पिछड़ा हुआ कस्बा बनकर रह गया है, क्योंकि यदि पुलिस चौकी उनकी थुरल में ही है, तो थाना लंबागांव पड़ता है और डीएसपी आफिस बैजनाथ में है, जो कि बिलकुल विपरीत है जिसकी दूरी लगभग 40 किलोमीटर, जबकि पालमपुर केवल 25 किलोमीटर की दूरी पर है।

लोगों का स्वागत कर रही धूल

भवारना में व्यवसाय करने वाले इंद्रजीत शर्मा का कहना है कि सुलाह विधानसभा क्षेत्र का भवारना मुख्य व्यावसायिक केंद्र है। इसमें अभी तक किसी भी पार्टी के नेता इस दो किलोमीटर लंबे  भवारना बाजार में सुलभ शौचालय तक नहीं बनवा पाए, जिस कारण बाजार में आने जाने वालों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उनका कहना है कि प्रदेश ने बिजली के क्षेत्र में जितनी मर्जी तरक्की कर ली हो, परंतु भवारना कस्बे में पांच बजे के बाद यदि लाइट चली जाए, तो अगले दिन कब तक आएगी, इसका कोई जवाब विद्युत बोर्ड के पास नहीं होता है। भवारना की मेन सड़क की हालत इतनी खराब है कि कई किलोमीटर धूल लोगों को रोज फांकनी पड़ रही है। दो-तीन महीने बीत जाने के बावजूद सड़क में गड्ढे ही गड्ढे हैं और लोगों को धूल से दो चार होना पड़ रहा है। भवारना में पहुंचते ही स्वागत धूल से होता है, जहां भवारना की सरहद खत्म होती है, वहां तक धूल ही धूल खानी पड़ती है।

भवन को तरसा थुरल कालेज

खड़ोठ निवासी जसवंत सिंह का कहना है कि सुलाह विधानसभा क्षेत्र की खड़ोठ पंचायत में कालेज भवन की आधारशिला तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने  19 मार्च 2002 को  रखी थी।  उस समय  शहीद कैप्टन विक्रम बतरा महाविद्यालय पालमपुर को खड़ोठ में स्थानांतरित किया गया था। इस  स्थानांतरण मुद्दे पर राजनीति हावी रही थी, जिसका खामियाजा वहां के स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है।  शिलान्यास के बाद वहां पर भवन बनाने का कार्य शुरू हो गया, परंतु वह अंजाम तक नहीं पहुंच पाया। वर्तमान में  सरकार के लाखों रुपए उन आधे-अधूरे भवनों पर लग चुके हैं। उनका कहना है कि आज दिन तक चाहे भाजपा की सरकार रही हो या कांग्रेस की, कोई भी संस्थान इस स्थान पर नहीं खोला गया। खड़ोठ में महाविद्यालय भवन के नाम से रखी नींव के बावजूद आधी-अधूरी खड़ी इमारतें लोगों को मुंह चिढ़ा रही हैं। उन्होंने मांग की कि यहां पर कोई आईटीआई या शिक्षण संस्थान खोला जाए ।