मिशन रिपीट का सपना न देखे सरकार

हिमाचल पेंशनर्ज कल्याण संघ की दोटूक, पेंशन भत्ता-मेडिकल बिल का भुगतान न देने से रोष

मंडी— मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने पेंशनरों से की घोषणा को क्रियात्मक रूप प्रदान नहीं किया, तो सरकार को रिपीट मिशन प्राप्त करने का स्वप्न भी नहीं लेना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि सरकार आगामी विधानसभा चुनाव में दहाई का आंकड़ा भी न छू पाए। ये शब्द हिमाचल पेंशनर्ज कल्याण संघ के संस्थापक एवं प्रदेश मुख्य संरक्षक बीडी शर्मा, प्रदेश महासचिव योग राज शर्मा व हमीरपुर जिला प्रधान केसी गौतम ने कहे। संघ के इन पदाधिकारियों ने सरकार को कड़े शब्दों में चेताया कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने गत वर्ष 17 दिसंबर, 2016 को शिमला में कुछ पेंशनरों के मध्य घोषणा की थी कि पेंशनरों को 65, 70 व 75 वर्ष की आयु उपरांत मिलने वाले 5, 10 व 15 प्रतिशत पेंशन भत्ते को उनकी मूल पेंशन में शामिल कर दिया जाएगा, परंतु आज तक यह घोषणा केवल घोषणा ही रही। संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में लगभग सवा लाख पेंशनर हैं, जिन्होंने अपने सेवाकाल में प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों तक सरकार की नीतियों को क्रियान्वित किया है, जिनकी बुढ़ापे में सरकार अनदेखी कर रही है।  वहीं माननीयों को पट्टे पर जमीन देने का निर्णय सरकार ने आनन-फानन में ले लिया, पर पेंशनरों को प्रदत्त घोषणा को लागू करने में आनाकानी क्यों। यही नहीं, पेंशनरों के लाखों के मेडिकल उपचार के बिल कई वर्षों से भुगतान के लिए बजट की बाट जोहते हुए धूल फांक रहे हैं। सरकार का ध्यान वरिष्ठ नागरिकों अर्थात पेंशनरों की तरफ  कतई नहीं है। कुछ संगठन भी सरकार की बेतुकी चापलूसी करते हैं, जिसे सरकार उन्हें अपनी जेब में समझती है, तभी तो परिणाम विपरीत होते हैं। अगर सरकार ने अगली मंत्रिमंडल की बैठक में पेंशनर हित में निर्णय नहीं लिया, तो सरकार अगामी विधानसभा चुनाव में परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे।

रिटायर्ड अफसरों को न मिले सेवा विस्तार

सुंदरनगर — हिमाचल पेंशनर्ज कल्याण संघ में प्रदेश सरकार के रवैये के प्रति गहरा रोष है। वरिष्ठ उपप्रधान विनोद स्वरूप की अध्यक्षता में हुई बैठक में सभी पेंशनरों ने प्रदेश सरकार की कार्य प्रणाली से नाराजगी व्यक्त की है। विनोद स्वरूप ने कहा कि अगर प्रदेश सरकार ने जल्द ही मांगों को पूरा नहीं किया तो पेंशनर समाज प्रदेश सरकार का भारी विरोध करेगा। उन्होंने कहा कि पहली जनवरी, 2006 से सेवानिवृत्त पेंशनरों को केंद्र की तर्ज पर दस वर्ष का सेवाकाल पूरा करने पर पेंशन का लाभ दिया जाए व 15 मई, 2003 से पूर्व पेंशन योजना को लागू की जाए। सेवानिवृत कर्मियों व अधिकारियों को सेवा विस्तार के तहत दोबारा से नियुक्ति न देने की भी वकालत की है।