वायु प्रदूषण पर सचेत करती रपटें

(अंकित कुंवर, नई दिल्ली (ई-पेपर के मार्फत))

वायु प्रदूषण से संबंधित स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर-2017 की रिपोर्ट भारतीय जनमानस को सचेत होने का संकेत देती है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया के अन्य देशों की तुलना में वायु प्रदूषण में अग्रणी है। यह निश्चित तौर पर खतरे का संकेत है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल लगभग सात लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के कारण होती है। इस संख्या में हर वर्ष इजाफा हो रहा है। हमारा पर्यावरण मंत्रालय भी इस रिपोर्ट में लिखे तथ्यों से अवश्य परिचित होगा, परंतु मंत्रालय द्वारा वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए कोई सख्त कदम अभी तक नहीं उठाए गए हैं। वायु प्रदूषण से संबंधित घरेलू रिपोर्ट राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार भारत के 13 शहरों में बहने वाली हवा जहरीले कणों से युक्त है। इन शहरों में होने वाली 40 फीसदी आकस्मिक मौतें वायु में मौजूद जहरीले पदार्थों की अधिक मात्रा से होने वाली बीमारियों के कारण होती हैं। वायु प्रदूषण से संबंधित दोनों रपटें भारत के भौगोलिक क्षेत्र में बहने वाली खतरनाक हवा में सांस ले रहे लोगों को सोचने के लिए मजबूर करती है। यदि हम वाकई वायु को स्वच्छ और स्वयं को स्वस्थ बनाए रखना चाहते हैं, तो हमें वायु प्रदूषण को कम करने के लिए पश्चिमी पैरामीटर से लिए सुझावों पर कम निर्भरता दिखाने और  देश के भौगोलिक क्षेत्रों के अनुकूल स्वयं समाधान निकालने की आवश्यकता है अन्यथा वह वक्त दूर नहीं, जब देश में बहने वाली जहरीली हवाएं मानव जीवन के लिए विनाशक साबित होंगी।