विद्रोह से बचने के लिए भाजपा की नई रणनीति

शिमला— कयासों व अटकलों के विपरीत भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति मंगलवार को भी प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं कर सकी। पार्टी द्वारा कई टिकट बदलने पर उठ रही विद्रोह की ज्वाला के बीच अब अलग रणनीति तैयार की गई है। इसके तहत जिन नेताओं का टिकट के लिए चयन हुआ है, उन्हें ही नामांकन के लिए पार्टी के अधिकृत फार्म भेजे जा रहे हैं। दिलचस्प यह है कि कई जिलाध्यक्षों ने भी ऐसे कई उम्मीदवारों के फार्म रोक रखे हैं, जिन्हें वे चाहते ही नहीं थे कि वे चुनाव में उतरें। पार्टी में इन फार्मों को लेकर कितनी खींचतान है, इसकी मिसाल यहां से भी ली जा सकती है कि कई नेता सीधे दिल्ली से ये फार्म लेकर आए हैं। मंगलवार को बाकायदा पार्टी चुनाव प्रभारी थावर चंद गहलोत ने बयान जारी कर कहा कि व्यक्तिगत सूचना देकर प्रत्याशी चयन की भाजपा की कोई परंपरा नहीं है। जब तक प्रत्याशियों के नामों का औपचारिक ऐलान नहीं हो जाता, तब तक कोई भी उम्मीदवार पार्टी का अधिकृत नहीं होगा, मगर हैरानी की बात है कि एक तरफ चुनाव प्रभारी ऐसे बयान दे रहे हैं, तो दूसरी तरफ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सत्ती को भी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा ऐसा ही फार्म जारी किए जाने की सूचना है। यही नहीं, महेंद्र सिंह ठाकुर को भी ऐसा ही अधिकृत फार्म मंगलवार को जारी किया गया। शिमला में जुब्बल कोटखाई से पूर्व मंत्री नरेंद्र बरागटा और रामपुर में प्रेम सिंह द्रैक, शिमला से सुरेश भारद्वाज को भी ऐसे ही फार्म पहुंचने की जानकारी  है। लिहाजा पार्टी के अन्य प्रबल दावेदारों में इस बात को लेकर रोष है कि अधिकृत तौर पर 68 उम्मीदवारों की सूची जारी न कर आखिर यह कौन सी नई परंपरा शुरू की गई है, जिससे नेताओं का मनोबल गिरे।

रोष बढ़ते ही रुक गए फार्म

पार्टी में दावेदारों के बीच जब केंद्रीय चुनाव समिति के अधिकृत फार्म की सूचनाएं जंगल की आग की तरह फैलीं तो नाराज नेताओं को शांत करने के लिए पार्टी अध्यक्ष ने निर्देश जारी किए कि ऐसे सभी फार्म जारी न किए जाएं। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली से ही प्रदेशाध्यक्ष को ऐसे फार्म दिए गए थे, जिन्हें जिला प्रभारियों को सौंपा गया था।