वेट एंड वॉच पालिसी पर प्रदेश कांग्रेस

भाजपा की लिस्ट का हो रहा इंतजार, मुख्यमंत्री सहित कई मंत्री दिल्ली के लिए रवाना

शिमला – हिमाचल प्रदेश कांग्रेस टिकट आबंटन में वेट एंड वाच की नीति पर चल रही है। सोमवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व चुनाव व अन्य समितियों में शामिल सदस्यों की बैठक होने जा रही है, इसलिए सभी रविवार को ही दिल्ली रवाना हो गए। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस पहले भाजपा द्वारा जारी की जाने वाली उम्मीदवारों की सूची को देखना चाहती है। इसके बाद 17 या 18 अक्तूबर तक पार्टी अपनी सूची जारी कर सकती है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के भाजपा में शामिल होने के शोर के बीच यह बैठक दिल्ली में होगी। ऐसे में पार्टी अपनी रणनीति भी बदल सकती है। पार्टी हाइकमान के निर्देशों पर जो समितियां गठित की गई हैं, उनकी रिपोर्ट्स पर भी इस बैठक में चर्चा होगी। यानी ये समितियां पार्टी को मिशन रिपीट में सफल बनाने के लिए किस तरह की रणनीति बनाएंगी, इस पर भी मंथन होगा। खासतौर पर 68 टिकटों की सूची फाइनल करने से पहले सभी नेताओं को पार्टी हाइकमान एकमत देखना चाहती है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस भी सर्वेक्षणों व फील्ड की रिपोर्ट्स के आधार पर जिताऊ प्रत्याशियों को टिकट बांटेगी। मौजूदा विधायकों के टिकट नहीं कट रहे हैं, जबकि भाजपा के गढ़ कहे जाने वाले इलाकों में दमदार प्रत्याशियों व नए चेहरों को तवज्जो दी जा रही है। भाजपा की ही तर्ज पर कांग्रेस में भी नए चेहरों को टिकट थमाने पर विवाद कायम है। पार्टी चाहे बाहर से टिकट के लिए एक राय होने का दावे कर रही हो, मगर सूत्रों का दावा है कि शिमला, मंडी, कांगड़ा, सोलन और सिरमौर में टिकटार्थियों के चयन को लेकर संगठन व सरकार आमने-सामने हैं।

असंतुष्टों पर कांग्रेस की नजर

भाजपा में जाने वाले कांगे्रस नेताओं के चलते भाजपा के टिकट दावेदार गहरे सदमे में हैं। कांग्रेस की अब यह रणनीति है कि टिकट आबंटन में जल्दबाजी न की जाए। ऐसे प्रभावी चेहरों को कांग्रेस में मौका दिया जाए, ताकि भाजपा की रणनीति को तारपीडो किया जा सके।

पंडित के डैमेज कंट्रोल की तैयारी

सुखराम के भाजपा में शामिल होने के बाद भले ही कांग्रेस इसका कोई असर न बता रही हो, मगर दिक्कतों का आभास पार्टी नेताओं को मिल रहा है। ऐसे में सोमवार की बैठक में डैमेज कंट्रोल पर भी रणनीति बनेगी। दूसरी ओर मंडी में कांग्रेस की जितनी भी जनसभाएं होती रही हैं, उनमें पंडित सुखराम व उनके पुत्र अनिल शर्मा का उल्लेखनीय योगदान रहता था, लेकिन अब दारोमदार कौन संभालेगा।