हरिपुरधार के भलौना में कनियाल बिरादरी ने पेश की मिसाल, बिना शराब होगी शादी
क्या है परंपरा
गिरिपार में शादी-विवाह व अन्य समरोह में शराब परोसे जाने की पुरानी परंपरा है। इसके अलावा इन समारोहों में बकरों के काटे जाने की भी परंपरा है। चाहे कोई कितना ही गरीब हो, परंपरा निभाने के लिए वह जमीन तक बेचने को विवश हो जाता है। गिरिपार के शिलाई क्षेत्र में कुछ सालों से शादी-विवाह में बकरों की धाम पर रोक लगाई गई थी। बहरहाल, अब इस फैसले की तारीफ हो रही है।
18 गांवों में एक साथ पाबंदी
गिरिपार क्षेत्र में ऐेसे कई गांव व पंचायतें हैं, जहां शराब बनाने व पीने पर प्रतिबंध है, मगर एक ही बिरादरी के 18 गांवों में शराब पर पाबंदी लगाने का गिरिपार क्षेत्र में यह पहला मामला है। कनियाल बिरादरी के 500 परिवार हैं, जिनकी कुल आबादी लगभग दस हजार बताई जा रही है। कनियाल बिरादरी का मूल गांव बढ़ोल पंचायत का कुणा गांव है। इस गांव के लिए गिरिपार क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों में लगभग डेढ़ दर्जन गांव में बसे हुए हैें। मूल गांव कुणा होने के कारण इस बिरादरी के लोगों को कुनियाल कहते हैं। कुनियाल बिरादरी के लोग रवाणा, बढ़ोल, कांडो, कुणा, नाय, बनवाणी, कफनु, तांदियों, कुकड़ेच, शिलाण, माइला, कालरियां, छछोती, गोंठ, बरवाड़ी, नांडी, भलौना व डोलना समेत 18 गांवों में रहते हैं। कांडो बढ़ोल निवासी रिडायर्ड प्रिंसिपल बहादुर सिंह शर्मा बताते हैं कि आज की युवा पीढ़ी नशे के गर्त में फंसती जा रही है। शादी व अन्य समारोह में शराब पीने से अकसर हुड़दंग व मारपीट की घटनाओं में भारी इजाफा हो रहा है। कई लोग ऐसे समारोह में जुआ भी खेलते हैं। इससे सबसे अधिक परेशानियों का सामना महिलाओं को करना पड़ता है। उन्होंने महिलाओं से भी इस विषय को लेकर चर्चा की थी। महिलाओं के खुलकर समर्थन मिलने के बाद ही उन्होंने इस मसले को सम्मेलन में रखा था।