चीनी नहीं, तो खांडसारी मिल ही खोल दो

पांवटा के गन्ना उत्पादकों ने प्रदेश सरकार से लगाई गुहार

पांवटा साहिब— जिला सिरमौर के दून क्षेत्र पांवटा साहिब में यदि सरकार चीनी मिल नहीं खोल सकती तो खांडसारी मिल को फिर से शुरू कर दें। यह मांग पांवटा साहिब के गन्ना उत्पादक प्रदेश सरकार से कर रहे हैं। किसान सभा के माध्यम से गन्ना उत्पादक सरकार के समक्ष अपना दुखड़ा रो रहे हैं, लेकिन सरकार के उदासीन रवैये के कारण यहां पर न तो चीनी मिल खुल पाई और न ही खांडसारी मिल, जिस कारण मजबूरन किसानों को उत्तराखंड के डोईवाला में  गन्ना बेचना पड़ता है। सरकार की ओर से गन्ना उत्पादकों को उनकी मेहनत के मुताबिक समर्थन मूल्य भी नहीं दिया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक पांवटा दून में गन्ने की व्यापक खेती होती है। यहां पर स्थानीय चरखियों के अलावा करोड़ों रुपए का गन्ना पड़ोसी राज्य उत्तराखंड की शुगर मिल में जाता है, लेकिन प्रदेश सरकार किसानों की मेहनत के गन्ने का रसपान नहीं कर पा रही है। पांवटा के किसानों का कहना है कि  पांवटा साहिब में 30 साल पहले तक यहां शुभखेड़ा के समीप खांडसारी मिल चलती थी, लेकिन यह मिल बंद हो गई है। इस मिल के बंद होने के बाद अब इस स्थान पर अब कालेज खुल गया है। सरकार की ओर से कहीं ओर स्थान पर भी खांडसारी मिल नहीं खोली है, जिस कारण किसानों को अपना गन्ना बेचने के लिए भारी परेशानी हो रही है। पांवटा साहिब व आसपास के क्षेत्र में करीब 1500 हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की खेती होती है। इसमें करीब 12 लाख क्विंटल के अधिक का गन्ना हर साल होता है। इसमें गन्ने की फसल आजकल निकाली जा रही है।  किसान गन्ने की फसल निकालने के बाद उसको स्थानीय सोसायटियों के माध्यम से उत्तराखंड के डोईवाला मिल में भेजते हैं, लेकिन कभी-कभी वहां से भी किसानों को गन्ने की पेमेंट बहुत लेट मिलती है। किसान सभा के जिला सचिव गुरुविंद्र सिंह ने कहा कि पांवटा के गन्ना उत्पादक  सरकार किसान विरोधी नीतियों से परेशान हैं, क्योंकि सरकार की ओर से किसानों को जो रेट दिया जाता है वह बहुत ही कम है। किसानों को प्रति क्विंटल 450 रुपए समर्थन मूल्य दिया जाना चाहिए।