चुनाव पर करीब 40 रुपए करोड़ खर्च

हिमाचल सरकार को ही करना पड़ेगा वहन, निर्वाचन विभाग ने की 12 करोड़ रुपए की बचत

शिमला— विधानसभा चुनावों के लिए पूरा खर्च हिमाचल सरकार को ही वहन करना होगा। हालांकि इसके लिए 50 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया था, मगर सूत्रों का कहना है कि यह खर्च 38 करोड़ के लगभग ही हुआ है। यानी निर्वाचन विभाग ने सरकार के 12 करोड़ के लगभग बचत की है। केंद्र विधानसभा चुनाव के लिए कोई भी वित्तीय मदद राज्य सरकारों को नहीं देता है। यह पूरा खर्च प्रदेश सरकारों को अपने बूते वहन करना होता है। इसके उल्ट लोकसभा चुनावों में केंद्र जरूर मदद करता है। राज्यों को 70:30 अनुपात में यह सहायता राशि मिलती है। यानी 70 फीसदी केंद्र सरकार व 30 फीसदी राज्य अपने खजाने से खर्च करते हैं। वर्ष 2012 के चुनाव में 35 करोड़ का खर्च हुआ था, मगर इस बार वीवीपैट उसकी बैटरीज व पेपर रोल्स पर अतिरिक्त खर्च आया है। इसी के नतीजतन यह खर्च 38 से 40 करोड़ पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। चुनावी प्रबंधन के लिए चुनाव आयोग द्वारा प्रदेश की मांग पर 65 अर्द्धसैनिक बलों की कंपनियां भेजी गई थीं। इनमें से ईवीएम की सुरक्षा के लिए अभी 23 कंपनियां ही हिमाचल में तैनात रखी गई है, जिनका 19 दिसंबर तक का खर्च राज्य सरकार ही वहन करेगी। शेष कंपनियां वापस दिल्ली भेज दी गई हैं। पुलिस व होमगार्ड के जो जवान निगरानी व्यवस्था के लिए तैनात किए गए थे, वे भी वापस अपने मुख्य विभाग में भेज दिए गए हैं। बहरहाल, हिमाचल जैसे आर्थिक तौर पर कमजोर राज्य के लिए 40 करोड़ का खर्च भी कम नहीं है।

सर्विस वोटर्ज से अभी और बढ़ेगी मतदान प्रतिशतता

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए सर्विस वोटर्ज की पूरी जानकारी अभी तक नहीं मिल सकी है। यानी ऐसे कितने वोटर्स द्वारा मतदान किया गया, इसकी सूचना अभी तक एकत्रित नहीं है। लिहाजा मतदान प्रतिशतता और बढ़ सकती है।