पाश्चात्य के रंगों में रंगा भारतीय सिनेमा

( विमला शर्मा भारद्वाज, गगल )

भारतीय सिनेमा इस योग्य नहीं कि हम उसे देखकर उनके दिखाए आचरण का अनुसरण कर सकें। हमारा सिनेमा उद्योग पश्चिमी सभ्यता से पूरी तरह प्रभावित हो चुका है। हालीवुड की तर्ज पर मुंबई सिनेमा बालीवुड बन गया। जहां कलाकार रहते-बसते हैं, उसे स्टारडम कहते हैं। कलाकारों का रहन-सहन भी हालीवुड कलाकारों जैसा है। भाषा, पहारावा, व्यवहार, सम्मेलन, समारोह, नृत्य, गायन, साजो-सामान, स्वागतम आदि सभी अंग्रेजी! मैं कहना चाहूंगा कि ये लोग इस धरती के लगते ही नहीं हैं। इस पर कोई गर्व न करें। हमारा युवा वर्ग अगर कहीं गुमराह हुआ नजर आता है, तो इसकी वजह यह बालीवुड है।