प्राकृतिक संपदा को संभालने की चेतावनी

( राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टिहरा )

‘पहाड़ तक पहुंचा स्मॉग का धुंधलका’ लेख में लेखक कुलभूषण उपमन्यु ने प्रदेश के कुछ जिलों में जहरीले धुएं यानी स्मॉग की दस्तक पर चिंता जताई है। आधुनिकता और भौतिकतावाद के पीछे इनसान इस कद्र दौड़ रहा है कि इसने प्रकृति से मिले अनमोल तोहफों को भी कुचलना शुरू कर दिया है। इसी कारण दिन-प्रतिदिन मौसम चक्र बिगड़ता जा रहा है और फिजा में जहरीली धुंध प्राणी जाति के लिए मुसीबत बनती जा रही है। अगर अभी भी इनसान ने प्रकृति को संभालने के लिए कुंभकर्णी नींद नहीं त्यागी, तो वो दिन दूर नहीं, जब धरती के किसी भी कोने में सांस लेना दुश्वार हो जाएगा। देश के कुछ राज्यों के साथ-साथ हिमाचल में भी स्मॉग का पहुंचना बहुत ही चिंता का विषय है। आज प्रदेश में भी एसी, कूलर की जरूरत पड़ने लग पड़ी है। शिमला जो कि दुनिया भर में एक ठंडे स्थान के नाम से जाना जाता है और जहां कभी लोग पंखे का स्विच नहीं रखते थे, वहां भी गर्मियों में पंखे का जरूरत पड़ना भी यही संकेत करता है कि पहाड़ी राज्य भी अब अपनी पहचान खोने लगे हैं। आज प्रदेश में भी वाहनों की संख्या बढ़ रही है और कुछ लोग जंगलों में आग लगाकर हरे-भरे प्रदेश को उजाड़ने को आतुर हैं। यह भी एक कारण हो सकता है कि प्रदेश पर स्मॉग का खतरा बढ़ने लगा है। हिमाचल की प्राकृतिक संपदा और आबोहवा को संभालने के लिए आमजन और सरकार को मिले-जुले प्रयास आज से नहीं, बल्कि अभी से करना शुरू करने होंगे।