फैसला सही… पर हमारे बारे में भी तो कुछ सोचो

जंगल और पहाड़ ही अब हिमाचल के लिए परेशानी बन रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी हिमाचल को झटका दिया है। पेड़ काटने पर सीधा जुर्माना, अढ़ाई मंजिला से ज्यादा मकान बनाने पर रोक, एनएच के किनारे भवन बनाने से रोक ये ऐसे निर्देश हैं, जो कि पेशानी पर पसीना ला रहे है, यह समझ से परे हैं, जबकि यहां पर न तो जंगलों की कमी है और न ही दिल्ली की तरह आवोहवा जहरीली है, उल्टा यहां पर जंगलों का लगातार विस्तार हो रहा है, जिसकी वजह से विकास नहीं हो पा रहा है। अब नए आदेशों से आम आदमी भी परेशान हो गया है। प्रदेश के अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’ ने लोगों की राय जानी तो कुछ यूं आया सामने…

उचित कदम उठाने चाहिए

ऊना के पंडोगा के लेखराज खन्ना ने कहा है लोगों को पेड़ कटान कम करने में भी अपनी भूमिका निभानी चाहिए। वहीं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ भी लगाने चाहिए। उन्होंने कहा कि एनजीटी द्वारा लिया गया निर्णय सही है, लेकिन पेड़ों से होने वाले नुकसान की भरपाई के बारे में बारे में भी उचित कदम उठाने चाहिए।

पेड़ कटान पर लगे प्रतिबंध

विधि चंद बंगा ने कहा है कि प्रदेश में जंगल ज्यादा हैं। इसके लिए आए दिन पेड़ भी मानव संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन इसकी भरपाई करने का कोई भी प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि पेड़ कटान बंद होना चाहिए। पर्यावरण को बचाने के लिए सभी को अपना योगदान देना चाहिए।

कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए

ऊना के पर्यावरण प्रेमी शिव शशी कंवर का कहना है कि एनजीटी का निर्णय सही है। पेड़ कटान पर पूर्ण प्रतिबंध लगना चाहिए। बिना अनुमति के पेड़ काटने वाले लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पेड़ काटने के साथ-साथ पौधारोपण भी किया जाना चाहिए।

विशेष प्रावधान होने चाहिए

जरनैल सिंह ने कहा है कि एनजीटी का निर्णय सही नहीं है। यदि पेड़ कटान पर पांच लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। तो पेड़ों से होने वाले नुकसान की भरपाई के बारे में भी उचित प्रावधान किया जाना चाहिए था, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसके लिए भी विशेष प्रावधान किया जाए।