बीएमओ समेत तीन को जेल

मरम्मत का फर्जी बिल बनाने पर जेई-ठेकदार दोषी करार

शिमला – फर्जी बिल बनाकर सरकारी खजाने को चूना लगाने के मामले में मतियाना के पूर्व बीएमओ सहित तीन लोगों को दोषी पाया गया है। शिमला की एक अदालत ने तीनों को धोखाधड़ी के आरोप में एक-एक साल के कारावास की सजा के साथ जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में दोषियों को छह-छह माह की अतिरिक्त सजा काटनी पड़ेगी।  सरकारी धन के दुरुपयोग का यह मामला साल 2008 का है। इस बारे में विजिलेंस को शिकायत की गई थी। शिकायत में ठियोग के मत्याणा के तत्कालीन बीएमओ  पर आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने खंड विकास अधिकारी कार्यालय में तैनात एक जूनियर इंजीनियर  और ठेकेदार के साथ मिलकर सरकारी खजाने को 2.39 लाख रुपए चूना लगाया है। इस शिकायत की विजिलेंस ने इसकी आरंभिक जांच की थी और इसके आधार पर 22 अगस्त 2009 में इस बारे में विजिलेंस के शिमला थाने में मामला दर्ज किया था। पूर्व बीएमओ पर रोगी कल्याण समीति की गवर्निंग काउंसिल की अनुमति के बिना ही पैसे निकालने के आरोप हैं। इनमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धर्मपुर (मधान) रोगी कल्याण समीति के खाते से 147500 रुपए की निकासी की गई। यह राशि स्वास्थ्य केंद्र के भवन की मरम्मत के लिए 13 मार्च 2008 को निकाली गई थी। इसी तरह मतियाणा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की मरम्मत के लिए भी रोगी कल्याण समीति के खाते से 92 हजार रुपए निकाले गए। विजिलेंस ने इस केस की जांच पूरी कर शिमला की विशेष अदालत में चालान पेश किया था। इस केस की पैरवी विजिलेंस के सरकारी अभियोजक जोगिंद्र सिंह सोक्टा ने की। विजिलेंस ने अपनी जांच में पाया कि दोनों प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए निकाली गई राशि के ठेकेदार सुरेंद्र सिंह ने फर्जी बिल तैयार किए। वहीं खंड विकास अधिकारी कार्यालय में तैनात तत्कालीन जूनियर इंजीनियर जयराम टेक्टा ने इन फर्जी बिलों को सर्टिफाई किया। विजिलेंस ने इस केस में पूरे दस्तावेज अदालत में पेश किए। अदालत ने इसके आधार पर तत्कालीन बीएमओ डा. ओएस रंधावा, जेई जयराम टेक्टा, ठेकेदार सुरेंद्र सिंह को धन के दुरुपयोग करने का दोषी पाया है।