भारत के करीब आया आस्ट्रेलिया

विदेश नीति पर पिछले 14 साल में पहला श्वेतपत्र किया जारी, चीन से दूरी बढ़ी

नई दिल्ली— आस्ट्रेलिया की विदेश नीति पर पिछले 14 साल में पहला श्वेतपत्र जारी किया गया है, जिसमें इसकी चीन से बढ़ती दूरी और भारत से करीबी साफ दिखी है। श्वेतपत्र से संकेत मिले हैं कि चीन से मुकाबले के लिए अमरीका, भारत और जापान के साथ आस्ट्रेलिया भी होगा। विश्व कारोबार के लिए अहम दक्षिण चीन सागर में चीन के दबदबे के बाद हिंद महासागर में भी चीन की सैन्य गतिविधियां बढ़ रही हैं, जिससे पूरी दुनिया में चिंता है। हाल में फिलीपींस की राजधानी मनीला में भारत, अमरीका आस्ट्रेलिया और जापान के विदेश मंत्रालयों के अधिकारियों की मीटिंग हुई थी और इन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने हितों को साझा माना था। भारत, जापान और अमरीका के बीच होने वाले मालाबार सैन्य अभ्यास आगे चलकर आस्ट्रेलिया को भी जोड़े जाने की भी संभावना है। चारों देशों के साथ आने पर चीन में चिंता भी जताई गई थी। आस्ट्रेलियाई विदेश नीति का श्वेतपत्र गुरुवार को जारी किया गया, जिसमें एशिया प्रशांत की जगह हिंद-प्रशांत शब्द का बार-बार इस्तेमाल किया गया है। कहा गया है कि इस क्षेत्र की स्थिरता हमारे दो अहम साझीदारों अमेरिका और चीन के रिश्तों पर निर्भर है। आस्ट्रेलिया को हमेशा से अमरीका के बेहद करीबी सैन्य सहयोगी के तौर पर देखा जाता रहा है। उसके चीन से गहरे आर्थिक संबंध हो चुके हैं। कुछ समय से आस्ट्रेलिया और चीन के रिश्तों में दूरी देखी जा रही है। चीन के महत्त्वाकांक्षी प्रोजेक्ट वन बेल्ट वन रोड पर भी आस्ट्रेलिया ने ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया है। श्वेत पत्र में चीन के बारे में कहा गया है कि उसकी ताकत अमरीका से मैच करती है और कुछ मामलों में तो आगे है। चीन चाहेगा कि इस क्षेत्र में उसके हितों को बढ़ावा मिले।

प्रमुख ताकत बना रहेगा हिंदोस्तान

भारत को श्वेतपत्र में हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपने पार्टनर के तौर पर देखते हुए कहा गया है कि आस्ट्रेलिया की इंटरनेशनल पार्टनरशिप में भारत अब पहली पंक्ति में विराजमान है। हमारे सुरक्षा हित मिलते जुलते हैं, खास तौर से हिंद महासागर की स्थिरता और खुलेपन के संबंध में। समुद्री सुरक्षा और आवाजाही की आजादी के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून कायम रहे, यह हमारे साझा हित में है। हिंद महासागर के देशों में भारत प्रमुख ताकत बना रहेगा। हम द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास करते हैं और रक्षा संबंध बढ़ा रहे हैं। हिंद महासागर की सुरक्षा को प्रभावित करने वाली गतिविधियों का जवाब हम भारत और अन्य देशों के साथ ज्यादा तालमेल के जरिए देना चाहते हैं।