रात में डाक्टर ही नहीं तो काहे का मेडिकल कालेज

मंडी चिकित्सा महाविद्यालय में बेहद जरूरी विभाग शाम चार बजे बाद बेसहारा, कहां जाएं मरीज

 मंडी— कहने के लिए मंडी जिला को नेरचौक मेडिकल कालेज मिल चुका है। इस बार पहला बैच भी शुरू हो चुका है, लेकिन कालेज में रात को विशेषज्ञों की सुविधाएं ही नहीं मिल रहीं। नेरचौक मेडिकल कालेज को फिलहाल जोनल अस्पताल मंडी से अटैच किया गया है, लेकिन सुविधाएं जिला स्तरीय अस्पताल की हैं, क्योंकि मेडिकल कालेज के गायनी, सर्जरी, मेडिसिन, पिडियाट्रिक्स जैसे महत्त्वपूर्ण विभाग में चार बजे के बाद कोई भी डाक्टर नहीं है। शाम चार बजे के बाद मेडिकल कालेज में मात्र एमर्जेंसी और 41 नंबर कमरे में एक-एक डाक्टर तैनात रहता है। गायनी में बाकायदा ईवनिंग और नाइट ड्यूटी के लिए कमरा बनाया गया है, पर सेवाएं देने के लिए कोई भी मौजूद नहीं है। ऐसे में मरीजों को सवाल उठाना लाजिमी है, क्योंकि उन्हें रात में गायनी विभाग में कोई भी डाक्टर नहीं मिलता। नेरचौक मेडिकल कालेज से अटैच हुए जोनल अस्पताल की गायनी ओपीडी में दिन में भी इतनी भीड़ रहती है कि घंटों लाइन में लगने के बाद भी नंबर नहीं आता। बावजूद इसके डाक्टरों की नाइट ड्यूटी नहीं लगाई गई है। यही नहीं, रात को गायनी के केस भी एमर्जेंसी में ही आते हैं, जिन्हें बाद में गायनी विभाग भेजा जाता है, जबकि गायनी में रात के समय कोई भी डाक्टर तैनात नहीं रहता।

क्या कहते हैं नियम

नियमों के हिसाब से मेडिकल कालेज में रात को गायनी में डाक्टरों की ड्यूटी जरूरी है, लेकिन यहां कहानी उलट है। यहां चार बजे के बाद अस्पताल मात्र दो ही डाक्टरों के सहारे चलता है।

ऑन कॉल 14 किमी दूर से आते हैं डाक्टर

मरीज के अस्पताल पहुंचने पर क्रमशः असोसिएट प्रोफेसर, अस्सिटेंट प्रोफेसर, प्रोफेसर बुलाए जाते हैं। पहली कॉल पर मरीज के लिए असोसिएट प्रो., दूसरी पर अस्सिटेंट और तीसरी कॉल पर प्रोफेसर को मरीज देखने के लिए बुलाया जाता है, लेकिन उन्हें करीब 14 किलोमीटा का सफर तय करना पड़ता है।