रेणुका में शेर नहीं, अब गर्जेंगे बाघ

दो साल से वीरान चिडि़याघर में टाइगर लाने के लिए सीजेडए को भेजा प्रस्ताव

ददाहू (श्रीरेणुकाजी)— पर्यटन क्षेत्र में प्रदेश में लगभग 40 वर्षों से अपना अहम स्थान रखने वाली रेणुका लायन सफारी पिछले दो वर्षों से वीरान है। एशिया प्रजाति के शेरों की यहां दो दर्जन संख्या पहुंचने के बाद आज रेणुका में लायन सफारी एन्कलोजर खाली पड़ा है। लगभग सात हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली रेणुकाजी लायन सफारी में शेरों के आखिरी जोड़े की मौत के बाद वर्ष 2015 से यहां टाइगर को लाए जाने की कवायद भी अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाई है। पर्यटन क्षेत्र में रेणुकाजी लायन सफारी प्रदेश की पहली बड़ी लायन सफारी रही है। 70 के दशक के कर्नाटक के बनेरघटा और गुजरात से लाए शेरों का आज यहां अस्तित्व खत्म हो गया है, जो कि पर्यटकों के लिए बड़े आकर्षण का केंद्र रहे, जबकि शेरों के बाद वन्य प्राणी विभाग तथा सरकार द्वारा यहां पर टाइगर के जोड़े को लाए जाने की बात कही गई, मगर दो वर्ष बीत जाने के बाद भी वन्य प्राणी विभाग का रेणुका में टाइगर एन्कलोजर का खाका ही सीजेडए में अप्रूवल नहीं हो पाया है। जानकारी के अनुसार वन्य प्राणी विभाग ने अभी तक चार बार टाइगर एन्कलोजर का प्लान केंद्रीय जू-अथॉरिटी को अप्रूवल के लिए भेजा है, जिसमें बार-बार आब्जेक्शन लग रहे हैं। इस वर्ष फिर यह प्लान अप्रूवल के लिए भेजा गया है। रेणुका-जू में टाइगर के जोड़े को लाए जाने से पूर्व लगभग 20 लाख की लागत से बनने वाले टाइगर एन्कलोजर के लिए केंद्रीय जू-अथॉरिटी ने पूछा है कि जब रेणुका सेंक्चुरी एरिया में है, तो वहां कैसे एन्कलोजर का निर्माण किया जा सकता है, जिस पर विभाग के अधिकारियों ने सीजेडए को अवगत करवाया है कि जू लगभग 50 वर्षों से यहां संचालित है तथा लायन एन्कलोजर यहां पर खाली पड़ा है, जिसे दुरुस्तगी करके टाइगर को लाए जाने का प्लान तैयार किया गया है। गौर हो कि रेणुका में लायन सफारी का दर्जा अब लायन सफारी से मिनी जू का किया गया है। वहीं वर्तमान में तेंदुआ, भालू, लैपर्ड कैट तथा हारबोरियस एनिमल यहां मौजूद हैं, मगर वनराज की आस में आज भी पर्यटक रेणुका लायन सफारी का रुख कर यहां से मायूस होते हैं। वहीं जानकार बताते हैं कि रेणुकाजी लायन सफारी को पर्यटन की दृष्टि से यदि विकसित करने की इच्छाशक्ति होती, तो प्रदेश में लायन सफारी का नाम होता। लगातार राजनीतिक तौर पर उपेक्षा के चलते लायन सफारी में न शेरों का वजूद रहा और न ही यहां अब टाइगर के जोड़े को लाए जाने के लिए कवायद पूरी हो पा रही है।