संकट में अगले वित्त वर्ष की योजना

नीति आयोग के बाद कई राज्यों में सालाना योजना पैक, पर एक्सरसाइज में जुटे अफसर

शिमला— हिमाचल की वित्त वर्ष 2018-19 की सालाना योजना पर असमंजस के बादल मंडरा रहे हैं। प्रदेश के योजना विभाग के साथ-साथ वित्त विभाग के अधिकारी भी नहीं जानते कि उन्हें अभी सालाना योजना पर एक्सरसाइज शुरू करनी चाहिए या नहीं। दरअसल ऐसे अधिकारियों को इस बात का भी अंदेशा है कि यदि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होता है तो उस सूरत में भाजपा सरकार योजना आकार पर कार्रवाई न चलाने के निर्देश दे सकती है। यदि मिशन रिपीट होता है तो कांग्रेस पुरानी कवायद को जारी रखने के निर्देश दे सकती है। इसी उहापोह की स्थिति में अब उच्चाधिकारियों ने 28 दिसंबर से यानी हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद ही इस बारे में कोई फैसला लिया जा सकता है। बावजूद इसके अफसरशाही आगामी वित्त वर्ष के लिए खाका तैयार करने में जुटी है। प्रदेश का वित्त वर्ष 2017-18 का योजना आकार 5700 करोड़ का था। इस वर्ष भी इसमें 500 करोड़ की बढ़ोतरी की कवायद है, मगर यह होगा तभी जब नई सरकार इसके लिए अनुमति दे। नीति आयोग बनने के बाद कई राज्यों ने योजना आकार पर एक्सरसाइज बंद कर दी है। विभागीय स्तर पर ही बजट के आबंटन को जहां ऐसे प्रदेश तवज्जो देते हैं, वहीं योजनागत व गैर योजनागत बजट के निर्धारण के लिए अलग से एक्सरसाइज चलती है।  हिमाचल में अभी तक ऐसा नहीं हो सका है, क्योंकि यहां कांग्रेस सरकार पुराने ढर्रे पर ही आगे बढ़ रही है। वित्त विभाग व योजना विभाग के अधिकारी इसी स्थिति को लेकर असमंजस में हैं। औपचारिकताएं पूरी करने के लिए अब 28 दिसंबर से सेक्टोरल बैठकों का आयोजन करने की तैयारी चल रही है। हालांकि अधिकारी भी ये मानते हैं कि सत्ता परिवर्तन की स्थिति में योजना आकार बनाने की पुरानी कवायद थम सकती है। फरवरी में पेश होने वाले प्रदेश के सालाना बजट को तैयार करने से पूर्व सत्ता में आने वाली नई सरकार संबंधित महकमों के अफसरों को कैसे निर्देश देगी, इस पर नजरें होंगी।