एनजीटी का फैसला…कौन देगा पांच लाख जुर्माना

जंगल और पहाड़ ही अब हिमाचल के लिए परेशानी बन रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी हिमाचल को झटका दिया है। पेड़ काटने पर सीधा जुर्माना, अढ़ाई मंजिला से ज्यादा मकान बनाने पर रोक, एनएच के किनारे भवन बनाने से रोक ये ऐसे निर्देश हैं, जो कि पेशानी पर पसीना ला रहे है, यह समझ से परे हैं, जबकि यहां पर न तो जंगलों की कमी है और न ही दिल्ली की तरह आवोहवा जहरीली है, उल्टा यहां पर जंगलों का लगातार विस्तार हो रहा है, जिसकी वजह से विकास नहीं हो पा रहा है। अब नए आदेशों से आम आदमी भी परेशान हो गया है। प्रदेश के अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’ ने लोगों की राय जानी तो कुछ यूं आया सामने…

पेड़ कटान पर लगे रोक

भलोन से अजय ठाकुर ने कहा है लोगों को पेड़ कटान नहीं करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति पेड़ कटान करता भी है तो इसके बदले में पर्यावरण संरक्षण के लिए उसे पोधारोपण भी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनजीटी की ओर से लिया गया निर्णय सही है।

एनजीटी का निर्णय सही

लठियाणी से राजेश धीमान ने कहा है कि एनजीटी का निर्णय सही है। बिना अनुमति के पेड़ कटान नहीं होना चाहिए, लेकिन दूसरी ओर जुर्माना भी उतना हो कि वह व्यक्ति जुर्माना राशि अदा भी कर सके। पांच लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान होने के बजाये कम राशि जुर्माने का प्रावधान होना चाहिए।

पौधारोपण भी होना चाहिए

बंगाणा से लक्की कटोच ने कहा है पेड़ कटान पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए, ताकि पर्यावरण का संरक्षण हो सके। उन्होंने कहा कि केवलमात्र पेड़ कटान ही नहीं होना चाहिए। बल्कि पेड़ कटान के बाद लोगों को पौधारोपण भी करना चाहिए, ताकि पर्यावरण संरक्षण हो सके।

निर्णय सही नहीं

सतरूखा से मनोहर लाल ने कहा है कि एनजीटी का निर्णय सही नहीं है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए लोग आगे आते हैं, लेकिन एनजीटी की ओर कड़े जुर्माने का प्रावधान किया गया है। जोकि न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि जुर्माने का प्रावधान हो सकता है तो पेड़ों से होने वाले नुकसान की भरपाई के बारे में भी प्रावधान किया जाना चाहिए।