ओवरस्पीड गाड़ी चलाई तो चालकों की खैर नहीं

उपायुक्त यमुनानगर बोले, उल्लंघन करने पर होगी कड़ी कार्रवाई

यमुनानगर— उपायुक्त रोहतास सिंह खरब ने बताया कि भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली के दिशा निर्देशानुसार सरकार द्वारा स्कूल-कालेज बसों के लिए जरूरी निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने स्कूल-कालेज वाहन चालकों का आह्वान किया है कि वे जारी निर्देशों के अनुसार वाहनों की निर्धारित गति सीमा के अनुसार ही अपने वाहन चलाएं। इसके साथ ही उन्होंने लोगों से अपील की कि कोई भी सड़क एवं वाहन दुर्घटना होने पर आपातकालीन सेवा के लिए टोल फ्री नंबर-100, 1073 पर तुरंत सूचित करें। स्कूल-कालेज वाहनों के ड्राइवरों और कंडक्टरों को यातायात नियमों का पूरा ध्यान रखना चाहिए। उपायुक्त ने बताया कि स्कूल-कालेज की प्रत्येक गाड़ी, बस या अन्य प्रकार के वाहन के पास मोटर वाहन अधिनियम की धारा-66 के अनुसार परमिट होना चाहिए। सभी शैक्षणिक संस्थानों में प्रयोग होने वाली गाडि़यों में उचित फिटनेस व बीमा प्रमाण पत्र होना चाहिए। उन्होंने बताया कि ड्राइवर को पांच वर्ष तक गाड़ी चलाने का कम से कम अनुभव हो व सभी शैक्षणिक संस्थानों में वाहनों के ड्राइवर व कंडक्टर निर्धारित वर्दी में होने चाहिए व उनकी नेम प्लेट वर्दी पर लगी होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि ड्राइवर व कंडक्टर को नियुक्त करते समय उन्हे सक्षम अधिकारी द्वारा जारी लाइसेंस चैक करने के उपरांत ही उनकी नियुक्ति की जानी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रत्येक ड्राइवर व कंडक्टर जो बसों पर नियुक्त किए जाते हैं, का दो वर्षों से कम अवधि में एक बार रिफ्रैशर कोर्स अवश्य होना चाहिए। प्रदूषण प्रमाण पत्र वाली गाड़ी ही सड़कों पर चलेगी। उपायुक्त खरब ने बताया कि सभी शैक्षणिक संस्थानों के वाहनों में फर्स्ट एड बॉक्स व अग्निशमन यंत्र होना चाहिए व बसों में जितनी सीटें हैं, उतने ही बच्चों को बैठाया जाना चाहिए। प्रत्येक शैक्षणिक संस्थानों के वाहनों के ड्राइवरों का वर्ष में एक बार डाक्टरी परीक्षण होना चाहिए। उन्होंने बताया कि यदि बस चालक के खिलाफ दुर्घटना का अभियोग भारतीय दंड संहिता की धारा-279,  337, 338 व 304 अंकित है तो उसे स्कूल बस पर बतौर चालक न रखा जाए। उपायुक्त ने बताया कि निर्धारित गति सीमा से अधिक गति से वाहन चलाना मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा-183 के तहत दंडनीय अपराध है। अतः हर वाहन चालक निर्धारित गति में ही अपने वाहन चलाएं, ताकि सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लग सके।