कब पूरी होगी जांच

(हेमराज कपूर, बकाणी, चंबा)

बिटिया हादसे के पश्चात प्रदेश की भोली-भाली जनता ने कई बार मर्यादाएं लांघने की कोशिश की। ये कोशिशें तब हुईं, जब प्रशासन और राज्य जांच एजेंसियां जांच में दिलचस्प नजर नहीं आ रही थीं। हिमाचल के इतिहास में शायद यह पहला पुलिस थाना होगा, जो जन आक्रोश के कारण आग की भेंट चढ़ गया, क्योंकि लोग पुलिस थाने की कार्रवाई से असंतुष्ट थे। प्रदेश पुलिस और जांच एजेंसियां जब इस हादसे में शामिल गुनहगारों  को पकड़ने में नाकाम साबित हुईं, तो प्रदेश सरकार ने जन आक्रोश को देखते यह मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को सौंप दिया। इसके बाद हिमाचल प्रदेश में पिछले चार माह से बिटिया हादसे की जांच में केवल गिरफ्तारियां ही हो रही हैं। हालांकि सीबीआई ने आईजी, एसपी, डीएसपी सहित अन्य आठ पुलिस वालों को गिरफ्तार कर जांच को आगे बढ़ाया, लेकिन असली गुनहगारों तक सीबीआई चार माह बीतने के पश्चात भी नहीं पहुंच पाई है। इसी कारण सीबीआई की साख संदेह के घेरे में आ गई है। देश की प्रतिष्ठित जांच एजेंसी अगर चार माह बाद भी असल गुनहगारों तक नहीं पहुंच पाई है, तो यह देश व प्रदेश की जनता के लिए चिंतनीय विषय है। देश की मुख्य जांच एजेंसी अगर इस रफ्तार से जांच करती है, तो इससे देश की जनता का न्याय से विश्वास उठ जाएगा। देश की जनता के बीच न्याय के प्रति विश्वास बनाए रखना जांच एजेंसियों का पहला व प्रमुख कार्य होना चाहिए। देश का जांच तंत्र ढीला होगा, तो अपराधियों के हौसले बढ़ेंगे और अपराधों में वृद्धि होगी। यदि जांच तंत्र सक्रिय व दृढ़ होता है, तो अपराधियों के हौसले पस्त होंगे और बढ़ते अपराध में भी कमी आएगी।