किस्मत के धनी निकले शांडिल

सियासत में अपने ही दामाद को दी मात, तारगेट से भटका भाजपा का तीर

सोलन – सोलन में ससुर ने दामाद को पटकनी देकर अपनी सीट पर कब्जा बरकार रखा। यहा कांग्रेस प्रत्याशी व निवर्तमान मंत्री डा. धनीराम शांडिल व भाजपा के डा. राजेश कश्यप के बीच मुकाबला था। श्री शांडिल भाजपा प्रत्याशी राजेश कश्यप के ससुर हैं। दामाद व ससुर में यह मुकाबला बड़ा रोचक था तथा सभी की निगाहें इसी ओर लगी हुई थी। एक सामान्य परिवार से फौज के कर्नल पद तक पहुंचने वाले धनीराम शांडिल शुरू से ही भाग्य के धनी हैं। फौज से सेवानिवृत होने के बाद हिविकां सुप्रीमो पं. सुखराम ने सन् 1997 में उन्हें शिमला लोकसभा से (भाजपा-हिविकां गठबंधन) टिकट पर मैदान में उतारा। धनीराम शांडिल पदार्पण में ही सांसद बन गए। तब से लेकर अब तक वह दो बार सांसद तथा एक बार पदेश में मंत्री रह चुके हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में भी किस्मत ने उनका साथ दिया। सोलन से कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा की टिकट किसी तजुर्बेकार नेता या संगठन से जुड़े किसी पदाधिकारी को मिलेगी, किंतु भाजपा ने इस बार डा. राजेश कश्यप के रूप में नए चेहरे को उतार दिया। डा. कश्यप दो माह पूर्व ही आईजीएमसी से वरिष्ठ चिकित्सक के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृति लेकर आए थे। भाजपा ने हालांकि दामाद को मैदान में उतार कर राजनीति के मैदान पर नई चाल चली थी, लेकिन  शांडिल के आगे कामयाब नहीं हुई।

आठवें राउंड में बढ़त

आठवें राउंड तक कांग्रेस व भाजपा के बीच जबरदस्त मुकाबला चल रहा था, लेकिन अंतिम राउंड में ज्यों ही नौणी क्षेत्र की ईवीएम खुली, उसने श्री शांडिल की किस्मत के कपाट खोल दिए।

निभाया पुत्री धर्म

चुनाव की एक खासियत यह भी रही कि एक पुत्री ने बहन धर्म की बजाय पुत्री धर्म निभाया। डा. धनीराम शांडिल की छोटी पुत्री ने अपने जीजा व बहन का साथ निभाने की परंपरा नहीं निभाई तथा पिता धर्म का निर्वहन किया। छोटी पुत्री साए की तरह अपने पिता के साथ रही।