क्यों पागल हुआ इनसान

डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर

अब हरियाणा में हुआ, वह पागल इनसान,

मुंह से लार टपक रही, काट न ले हैवान।

क्यों अबोध का रक्त पीना, अब बना रिवाज,

मासूमों पर नित्य प्रति, गिरती है क्यों गाज।

कन्याओं का प्रांत में, है चंहुओर अकाल,

हत्या का, दुष्कर्म का, बढ़ता जाता जाल।

बेटी पर भाषण मिले, कोरी सब बकवास,

कोई हमें बतलाए, यदि उठे कदम कुछ खास।

खुलेआम ही लग रहा, अब दामन में दाग,

चीरहरण संस्कृति बनी, फैल रही नित आग।

गली-गली में फिर रही, देवी जिंदा लाश,

चौराहे पर बिक रहा, कन्याओं का मांस।

देवी से दुष्कर्म पर, इन्हें न आती लाज,

लिंग काट दे चौक पर, इनका करें इलाज।

नहीं करेगी न्याय, मृतप्रायः पड़ी सरकार,

जनता कर दे फैसला, उसको दे अधिकार।

हैं कुकृत्य चंडाल के, फुर्र हुए सब कानून,

मासूमों का पी रहे, दानव प्रतिदिन खून।

मां काली का रूप तू, खुद को तो पहचान,

चौराहे पर चीर दे, मत सह अब अपमान।