गजल देती है मन को शांति और चैन

गजल मन को शांति ही नहीं, बल्कि चैन भी देती है। हर पल कापी व पैन साथ में रहता है। जब भी कुछ शब्द याद आए, सहज ही पंक्तियां बनकर गजल में पिरो दी जाती हैं…यह कहना है बिलासपुर के लेखक अमरनाथ धीमान का। बिलासपुर जिला के अली खड्ड के किनारे दली गांव में अमरनाथ धीमान का जन्म कर्म सिंह धीमान तथा माता सुंदरू देवी के घर 13 अगस्त 1953 को हुआ। खेती-बाड़ी का काम करने वाले माता-पिता के संस्कारों से ही अमरनाथ धीमान सामाजिक व लोक संस्कृति के उत्थान से जुड़े हुए हैं। कविताओं व गजलों के माध्यम से विलुप्त हो रही लोक संस्कृति को जीवंत रखने का प्रयास कर रहे हैं। शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त अमरनाथ धीमान बिलासपुर लेखक संघ में बतौर कोषाध्यक्ष अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। अमरनाथ धीमान को बचपन से ही पढ़ाई में विशेष रुचि होने के साथ-साथ अन्य सामाजिक व धार्मिक कार्यों की तरफ भी उनका  झान रहा। धीमान की प्राथमिक शिक्षा कंदरौर स्कूल में हुई। बिलासपुर से बीए ऑनर्स, शिमला से एमए, धर्मशाला से बीएड की। धीमान शिक्षा विभाग में 11 जून 1977 को राजकीय माध्यमिक पाठशाला पबियाना, जिला सिरमौर में प्रशिक्षित कला स्नातक अध्यापक के पद पर नियुक्त हुए। पदोन्नत होने के बाद 21 वर्षों तक शिक्षा विभाग में नियुक्त रहे। शिक्षा विभाग में ही वर्ष 2007 में प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नत हुए, जबकि मार्च 2012 में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय चांदपुर से प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुए। सरकारी सेवा के दौरान शिक्षा पर आयोजित किए जाने वाले अनेक प्रशिक्षण शिविरों और सेमिनारों में भाग लिया। मानवीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा पर मुंबई जाकर सेमिनार में भाग लिया। विद्यालय तथा महाविद्यालय स्तर से ही हिंदी-पहाड़ी कविता, गीत व गजल लिखने में विशेष रुचि रही।  राजकीय महाविद्यालय बिलासपुर की व्यास नामक पत्रिका में इनके लेख प्रकाशित हुए। 1984 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की एमफिल (हिंदी) उपाधि हेतु रागदरबारी में हास्य-व्यंग्य की योजना नामक लघु शोध-प्रबंध प्रकाशित हुआ। कहलूरा री कलम में इनकी पांच कविताएं प्रकाशित हुइर्ं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में इनके लेख, कविता, गीत, गजलें प्रकाशित हो चुकी हैं।

              -कुलभूषण चब्बा, बिलासपुर