छोटे कारोबारियों पर थोपा जा रहा कानून

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के फैसले इन दिनों पूरे प्रदेश में चर्चा का केंद्र बिंदु हैं। इन फैसलों का हम पर त्वरित और दूरगामी क्या असर है। प्रबुद्ध जनता इन फैसलों पर क्या सोचती है। इन्हीं सवालोें के जवाब जानने के लिए प्रदेश के अग्रणी मीडिया गु्रप ‘दिव्य हिमाचल’ ने लोगों की राय जानी। किसने क्या कहा बता रहे

घर का सपना अधूरा

सोलन के रहने वाले बलविंद्र कहना है कि वह आने वाले समय में मकान बानने के  बारे में सोच रहे थे, लेकिन एनजीटी के नए नियमों के कारण अब वह  अढाई मंजिल से अधिक ऊंचा मकान नहीं बना सकते। बलविंद्र का कहना है कि उनके घर में सदस्यों की अधिक संख्या है, जिसके चलते उन्हें अढाई मंजिल से ऊंचा मकान बनाने की आवश्यकता है।

कारोबारियों को दिक्कतें

नीरज ठाकुर का कहना है कि एनजीटी के नए नियमों से नेशनल हाई-वे के साथ अन्य मार्गों  के आसपास भी तीन मीटर तक निर्माण पर रोक लगा दी गई है। ऐसे में यदि कोई सड़क के साथ दुकान खोलना चाहे, तो वह खोल नहीं सकता। इसके आलावा एनजीटी ने इस पर भारी भरकम जुर्माना भी लगाया है, जिससे छोटे कारोबारियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

छोटे कारोबारियों के लिए ही कानून

सोलन के रहने वाले बंटी ने कहा कि एनजीटी के नियमों को देख कर लगता है कि यह नियम केवल गरीब व छोटे कारोबारियों के लिए बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इस नियम के दायरे में सरकारी अस्पताल व स्कूलों व जरूरी कार्यालायों को इसमें छूट क्यों दी गई है। इस कानून ने कारोबारियों की दिक्कतें बढ़ा दी हैं।

जल्द हो कानूनों में बदलाव

सोलन के मोहित ने कहा कि एनजीटी के नियमों से वृक्षों के काटने कोे लेकर भारी भरकम जुर्माना लगया हुआ है, जबकि हिमाचल प्रदेश में सबसे कम पेड़ों को काटा जाता है। ऐसे में एनजीटी के नियमों में जल्द बदलाव होना चाहिए। बहरहाल एनजीटी के  कानून ने आम लोगों की दिक्कतें बढ़ा दी हैं।