जड़ी-बूटियों का अपार भंडार भी है हिमालय

भारत को बाहरी आक्रमणों से बचाने के साथ-साथ यह देश के मौसम व वनस्पति पर भी  गहरा प्रभाव डालता है। इसमें जड़ी बूटियों का अपार भंडार है। हिमाचल प्रदेश को पूर्ण रूप से  समझने के लिए जरूरी है इसकी प्राकृतिक संपन्नता को जानना , जिसमें शामिल हैं पर्वत घाटियां,  नदियां, झीलें, दर्रे, हिमनद तथा जलवायु आदि…

गतांक से आगे…

भूगोलकारों के अनुसार 15000 से 20000 लाख वर्ष पूर्व किन्नौर, लाहुल- स्पीति और चौपाल आदि के क्षेत्र ‘पुरा मध्यसागर’ के भाग थे और इसके साथ लगने वाले अन्य क्षेत्र भी गर्म गहरे पानी के पदार्थ थे। धीरे-धीरे भर कर ये वर्तमान आकार में आए हैं। प्रदेश की धरती पंजाब के साथ लगती कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर और सिरमौर की रमणीक व सतलुज घाटियों से लेकर छोटे व बड़े पर्वतों का अद्भुत मिश्रण प्रस्तुत करती है। भूमि की अधिकतम लंबाई चंबा के उत्तर-पश्चिमी कोने से लेकर किन्नौर के दक्षिण-पूर्वी छोर तक 355 किलोमीटर है और अधिकतम चौड़ाई कांगड़ा के दक्षिण-पश्चिमी कोने से किन्नौर के उत्तर-पूर्वी कोने तक 270 किलोमीटर है। हिमाचल प्रदेश आकार में केरल, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, नागालैंड, हरियाणा, मिजोरम और पंजाब राज्य से बड़ा है।  अगर भारतीय भूमि पर हिमालय पर्वत न होता तो यहां की भौगोलिक अवस्था और इतिहास  कुछ और  ही होता। हिमालय पर्वत अनेक स्थानों पर भारत की अंतरराष्ट्रीय  सीमा  बनाता है। भारत को बाहरी आक्रमणों से बचाने के साथ-साथ यह देश के मौसम व वनस्पति पर भी  गहरा प्रभाव डालता है। इसमें जड़ी बूटियों का अपार भंडार है। हिमाचल प्रदेश को पूर्ण रूप से  समझने के लिए जरूरी है इसकी प्राकृतिक संपन्नता को जानना , जिसमें शामिल हैं पर्वत घाटियां,  नदियां, झीलें, दर्रे, हिमनद तथा जलवायु आदि।