जीएसटी से केंद्र को 20 प्रतिशत घाटा

शिमला— जीएसटी में केंद्र सरकार को राजस्व में हिमाचल से करीब 20 फीसदी का घाटा उठाना पड़ा है। हर साल वैट व अन्य करोें से केंद्र सरकार को प्रदेश से करीब छह हजार करोड़ रुपए की कमाई होती है। जीएसटी लागू होने के बाद से इसमें 20 फीसदी की कमी आंकी गई है। सूत्रों के अनुसार इस कमी का पूरा ब्यौरा दिल्ली में शनिवार को हुई बैठक में रखा गया। कई दूसरे राज्यों में भी केंद्र सरकार को इस कर में नुकसान उठाना पड़ा है, जिस पर नुकसान को समाप्त करने की रणनीति बनाई गई। इस घाटे की रिपोर्ट लेकर प्रदेश के आबकारी कराधान आयुक्त आर. सेलवम दिल्ली गए हैं, जिन्होंने शनिवार को वहां  हिमाचल के संदर्भ में चर्चा की। बताया जाता है कि केंद्र सरकार को इस मद में मासिक कर वसूली 90 हजार करोड़ रुपए से कम रही है, जिसके बाद वित्त मंत्रालय चिंतित है। वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में राज्यों को कई निर्देश दिए हैं और नए सिरे से रणनीति पर काम करने को कहा गया है। जिन डीलरों ने अब तक अपना टैक्स चुकता नहीं किया है, उन पर टैक्स के लिए दबाव बनाने को कहा गया है। नियमानुसार टैक्स जमा नहीं किया गया है तो इस पर पैनल्टी का प्रावधान भी है, जिस पर भी जोर दिया गया। इसके अलावा राज्य सरकारों से डीलरों को जीएसटी के प्रति अधिमान देने के लिए उनको जागरूक करने व अन्य कई मुद्दों पर चर्चा की गई है। हिमाचल ने भी कहा है कि स्थिति में आने वाले दिनों में सुधार देखा जाएगा परंतु वर्तमान में डीलरों ने नए माल की खरीद को तवज्जो नहीं दी, जिसका नुकसान हुआ है। हालांकि अभी जीएसटी के रिजल्ट उस हद तक नहीं आए हैं, जिसमें थोड़ा समय और लगेगा लेकिन प्रारंभिक तौर पर जो नुकसान केंद्र सरकार को हो रहा है, उससे वह चिंतित है। शनिवार को दिल्ली में इस संबंध में व्यापक रणनीति बनी है जिसके बाद हिमाचल में भी नए बदलाव देखे जा सकते हैं। यहां भी आयुक्त के लौटने पर विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक होगी। बता दें कि हिमाचल प्रदेश में भी केंद्र सरकार के निर्देशों पर आबकारी एवं कराधान विभाग ने वर्ष 2016 और 2017 के जुलाई, अगस्त व सितंबर महीने के आंकड़ों को खंगाला। उनका आकलन किया गया। उन सालों में वैट व अन्य कर वसूल किए जाते थे, जो कि राज्य का विभाग जुटाकर केन्द्र सरकार को देता था। इस साल यहां पर जीएसटी लागू होने के बाद अब करों की एक ही व्यवस्था है और यह कर सीधा केंद्र सरकार वसूल कर रही है। बताया जाता है कि हिमाचल प्रदेश में प्रत्येक जिला के 100 डीलरों का आंकड़ा खंगाला गया जो पिछले साल व इस साल जुलाई, अगस्त व सितंबर महीने में वैट आदि का कितना टैक्स चुकता करते थे और जीएसटी लागू होने के बाद उन्होंने कितना टैक्स दिया।