तीन तलाक पर बड़ी जीत

ईशानी, केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला

तीन तलाक की प्रथा पर जोरदार प्रहार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने न केवल मुस्लिम महिलाओं से न्याय किया, बल्कि फैसले के दायरे में आने वाली करोड़ों महिलाओं को नई ऊर्जा प्रदान की है। इस फैसले से पहले ताउम्र उन पर ट्विटर, फेसबुक, फोन, पोस्टकार्ड, ई-मेल आदि के जरिए ‘तलाक-तलाक-तलाक’ जैसे शब्दों से हमले की आशंका बनी रहती थी। जिस प्रथा को अधिकांश मुस्लिम देश पहले ही प्रतिबंधित कर चुके हैं, उसे भारत में समाप्त करने के लिए काफी समय लगा। शाह बानो जैसी लाखों मुस्लिम महिलाएं चुपचाप घुटन भरी जिंदगी जीने पर विवश रहती हैं। इस मसले पर केंद्र की मोदी सरकार का स्टैंड भी सराहनीय रहा। हैरानी यह कि मुस्लिम उलेमाओं तथा पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस प्रथा को समाप्त करने के बजाय अजीबो-गरीब रवैया अपनाए रखा। वे चाहते तो मुस्लिम समाज में नए बदलाव का नेतृत्व अपने हाथों में लेकर समाज में नई स्फूर्ति भर सकते थे और अपने नेतृत्व को समय सम्मत सिद्ध कर सकते थे। मुस्लिम नेताओं ने यह सुनहरा मौका खो दिया और माननीय सर्वोच्च न्यायालय इस परिवर्तन का सूत्रधार बना। इस फैसले से मुस्लिम महिलाओं को गर्व महसूस हुआ और भविष्य में अपनी एक खास पहचान बनाने में यह फैसला मददगार साबित होगा। मोदी द्वारा महिलाओं को सम्मान दिलाने की कोशिश रंग लाती दिखाई दे रही है।