पच्छाद को चाहिए पक्की सड़कें और पानी

विकास की मुख्यधारा से भटक चुका सिरमौर का पच्छाद नई सरकार को लेकर कई ख्वाब बुन रहा है। लोग हिचकोले खाती सड़कों से परेशान हैं, जिनकी दुर्दशा कई बार सरकार के दरवाजे तक पहुंच चुकी है, पर हालात ठीक न हुए। दूसरा, पेयजल संकट भी पच्छाद का इम्तिहान लेता है। ग्रामीणों को दो या तीन दिन बाद पानी नसीब हो रहा है। जनता यह भी चाहती है कि स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार हो और मंदिरों व गुफाओं को पर्यटन के लिहाज से विकसित किया जाए…

 सराहां— जिला सिरमौर की सबसे पुरानी तहसीलों में से एक पच्छाद का अधिकतर इलाका गांवों में बसता है और ग्रामीण परिवेश में पलने बढ़ने वाले लोगों को नई सरकार से बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं। गांव की कठिन परिस्थितियों में अपना जीवन यापन करने वाले ग्रामीणों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सड़कों की मुख्य भूमिका है। इस समय हलके में 300 किलोमीटर के लगभग पक्की व कच्ची सड़कें हैं, जिनसे ग्रामीण सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं, लेकिन इन सड़कों में अधिकतर की हालत इतनी खस्ता है कि कई जगह तो जान जोखिम में डालकर लोग सफर कर रहे हैं। सराहां-चंडीगढ़ मार्ग, सराहां-बागथन मार्ग, सराहां-फागला-वासनी-चमेंजी-बड़ू साहिब मार्ग, बड़ू साहिब-बनेठी-नाहन मार्ग, बागथन-डिंगर, किन्नर-नारग-सोलन मार्ग, चनालग-बंटीधार-भगायणघाट मार्ग आदि ऐसी सड़कें हैं, जिनकी दुर्दशा को लेकर ग्रामीण कई बार सरकार का दरवाजा खटखटा चुके हैं। कहने को तो हलके को तीन-चार एनएच भी स्वीकृत हो चुके हैं, लेकिन उन पर कार्य कब शुरू होगा। इन सड़कों की दशा में कब सुधार होगा, यह अब अगली सरकार पर निर्भर है। पच्छादवासियों की दूसरी सबसे बड़ी समस्या पेयजल संकट की है। ग्रामीणों को दो-तीन दिन के बाद पीने का पानी नसीब हो रहा है। इलाके में अधिकतर पेयजल योजनाएं पुरानी हैं, जिन पर उनकी क्षमता से अधिक भार पड़ रहा है। इलाके की बड़ू साहिब पेयजल योजनाएं बनी बखोली, नारग, डिलमन, बनाहं की सेर, घी मात्यना, नैनाटिक्कर, सादनाघाट इत्यादि पेयजल योजनाएं अकसर हांफती रहती हैं, जिसकी वजह से इलाके में पेयजल संकट के बादल मंडराते रहते हैं। इस समस्या के निदान की लोगों को नई सरकार से उम्मीद है। इसके अतिरिक्त इलाके की 30 पंचायतों को लाभान्वित करने वाले नागरिक अस्पताल में 100 बैड के लिए अधिकृत डाक्टर व अन्य स्टॉफ के पद सृजित करके उनकी तैनाती करना, इलाके के स्कूलों व स्वास्थ्य केंद्रों में खाली पदों को भरने की भी लोग नई सरकार से उम्मीद करते हैं।

ये काम हों तो बने बात

* इलाके के भुरेश्वर महादेव , गन्यार के गणपति मंदिर, शृंग ऋषि की गुफा, शामपुर बघार का नगरकोटी मंदिर, मानगढ़ की प्राचीन पांडव गुफा, सरोगा का भगेश्वरी देवी मंदिर को विकसित करना

 * घिन्नीघाड़ में औद्योगिक इकाई, सराहां में गैस एजेंसी, फुलटाइम एसडीएम कार्यालय

*  बंदरों व जंगली जानवरों के आतंक से मुक्ति, अदरक व टमाटर के लिए प्रोसेसिंग यूनिट खोलना

अधूरे काम पूरे किए जाएं

शिलान्यास के बाद 15 लाख के लगभग राशि स्वीकृत होने के बावजूद भी सराहां में पार्किंग की व्यवस्था नहीं की गई है। सैनिक विश्राम गृह का कार्य भी अधर में लटका हुआ है। लगभग 70 लाख की लागत से निर्मित पर्यटन सूचना केंद्र के भवन का निर्माण होने के बावजूद उसे चालू नहीं किया गया है।