बिजली के देवता के रूप में पूजा जाता है बिज्ज्ट को

बिज्ज्ट, जिसे बिजली के देवता के रूप में पूजा जाता है, का भी श्रीगुल से संबंध है। लोक गाथा के अनुसार जब अग्नयसुर और अन्य दैत्यों ने चूड़धार पर आक्रमण किया, तो बिज्ज्ट देवता (बिजली के रूप में) उन पर टूट पड़ा और उस समय सरांह में धरती पर एक मूर्ति पड़ी मिली…

हिमाचल में धर्म और पूजा पद्धति

सिरमौर का श्रीगुल या सरगल देवता : यह सिरमौर की चूड़धार का प्रसिद्ध देवता है, जिसका निवास स्थान चूड़धार के उच्च शिखर पर विद्यमान है। श्रीगुल देवता अलौकिक शक्तियों के कारण मानव से देवता बना। इसके बारे में कई लोक गाथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से जुब्बल से प्रचलित लोक गाथा इस प्रकार है कि साया या शादगा गांव को भोखरू नामक मुखिया अपना राज पाट देवी राम बजीर को देकर, निस्संतान होने पर कश्मीर चला गया। वहां उसने भक्ति की और वापस अपने गांव आ गया। उसके दो लड़के श्रीगुल और चंदेश्वर हुए। जब मां-बाप की मृत्यु हो गई तो श्रीगुल हरिद्वार गया। रास्ते में उसकी भेंट चुहडू नामक शिव भक्त से हुई। वापसी पर दोनों चूड़धार आ गए। चूहडू वहां भक्ति करता रहा, परंतु श्रीगुल दिल्ली चला गया। वहां उसने एक व्यक्ति को, जो गाय को मार रहा था, मार दिया। मुसलमान बादशाह ने उसे कैद करने के लिए आदमी भेजे, परंतु वे उसे कैद नहीं कर सके। बादशाह ने खुद आकर उसके पैर चूमे। उसी समय श्रीगुल को पता चला कि एक दैत्य चूड़धार  पर गाय का मांस फेंक कर उसे अपवित्र कर रहा है। उसने सहानलवी घोड़ा पैदा किया और चूड़धार पहुंचा। उसने दैत्य को पत्थर बना दिया जो अभी भी चूड़धार में पड़ा माना जाता है और ‘औरापोटली’ के नाम से जाना जाता है। चूहडू ने श्रीगुल के रहने का स्थान चुना और वहां देवी राम और उसके पुत्रों ने श्रीगुल मंदिर बनवा दिया। श्रीगुल के आदेशानुसार उन्होंने अन्य मंदिर भी बनवाए। मंदिरों में श्रीगुल के साथ चूहडू की मूर्तियां भी स्थापित की जाती हैं। चूहडू को श्रीगुल का बजीर माना जाता है। मानल, देओणा, बांदल, जतक व नाओणी आदि में श्रीगुल के मंदिर हैं। बिज्जट एंव बिज्जई पूजा ः बिज्जट जिसे बिजली के देवता के रूप में पूजा जाता है, का भी श्रीगुल से संबंध है। लोक गाथा के अनुसार जब अग्नयसुर और अन्य दैत्यों ने चूड़धार पर आक्रमण किया, तो बिज्जट देवता (बिजली के रूप में) उन पर टूट पड़ा और उस समय सरांह में धरती पर एक मूर्ति पड़ी मिली। उस स्थान पर उसके लिए मंदिर बनाया गया। अतः बिज्जट की मुख्य मूर्तियां सरांह मंदिर में विराजमान हैं। इस मंदिर में 27 पीतल की मूर्तियां हैं। बिज्जई को बिज्जट की बहन माना जाता है। बतरौली में उसका सात मंजिला मंदिर है। उसमें देवी की पीतल की मूर्ति है, जिसे रेशमी कपड़े पहनाए जाते हैं। यह देवी भी पशु बलि के लिए प्यासी रहती है। महासू देवता की पूजाः  महासु का विकृत रूप प्रतीत होता है। स्थानीय  महासु देवता एक देवता न होकर भेंटू, पब्बर वाशिक और चालडू नामक चार भ्राता देवों का समूह है। इनमें पहले तीन के मध्य क्षेत्र बंटे हुए हैं, जबकि चालडू का सारा ही क्षेत्र है और वह कहीं भी आ-जा सकता है। महासू देवता की उत्पत्ति के बारे में भी कई लोक गाथाएं प्रचलित हैं।

— क्रमशः